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राजस्थान में अब नहीं बिकेगा दान में दिया हुआ खून, क्यूआर कोड और GPS से होगी निगरानी

राजस्थान में ब्लड डोनेशन कैंपों के नाम पर खून की चोरी और बिक्री पर रोक लगाने के लिए सरकार हाईटेक निगरानी व्यवस्था ला रही है। जल्द ही ब्लड कैंप मैनेजमेंट एप शुरू होगा, जिससे हर यूनिट की ट्रेसिंग, ट्रैकिंग और क्यूआर कोड से मॉनिटरिंग होगी।

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जयपुर

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Arvind Rao

Jul 17, 2025

Donated Blood

Blood Donated (Patrika Photo)

जयपुर: प्रदेश में कैंप के नाम पर रक्तदान करवाकर चोरी छिपे अन्य राज्यों में भेजने या खुले बाजार में बेचने की बढ़ती घटनाओं के बाद अब राज्य सरकार ने सख्ती की तैयारी कर ली है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से एक एप बनाया जा रहा है, जिससे ब्लड की मॉनिटरिंग के साथ ट्रेसिंग और ट्रैकिंग भी की जाएगी।


जानकारी के अनुसार, ब्लड डोनेशन कैंपों में इकट्ठा होने वाले खून की चोरी-छिपे बिक्री की बढ़ती घटनाओं के बाद राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग ने इसकी रोकथाम के लिए हाईटेक निगरानी की तैयारी की है। इसके तहत जल्द ही ब्लड कैंप मैनेजमेंट एप शुरू किया जाएगा, जिससे कैंप में मिली हर यूनिट की रियल टाइम मॉनिटरिंग और जीपीएस से ट्रैकिंग होगी। साथ ही हर यूनिट पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा और उसकी पूरी जानकारी सरकार के हेल्थ पोर्टल पर दर्ज होगी।


वित्त विभाग ने दी स्वीकृति


इस एप के लिए वित्त विभाग से स्वीकृति मिल गई है। तीन फेज में इसे तैयार किया जा रहा है। संभवत: एक वर्ष में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। इससे जरूरतमंद को तुरंत ब्लड मिल पाएगा और डोनेशन के ब्लडकी अवैध रूप से कालाबाजारी भी रूक जाएगी।
-अजय फाटक, ड्रग कंट्रोलर


हर यूनिट पर नजर, हर डोनर का डेटा


इस नए सिस्टम में ब्लड बैंक और कैंप आयोजित करने वाले एनजीओ को कैंप की अनुमति भी इसी एप के जरिए मिल जाएगी। हर डोनर का नाम, मोबाइल नंबर, ब्लड ग्रुप और दान की गई यूनिट की जानकारी रियल टाइम दर्ज करनी होगी। इससे क्षेत्रवार डोनर का डेटाबेस भी तैयार होगा, जिससे जरूरत पड़ने पर रेयर ग्रुप वालों से तुरंत संपर्क किया जा सके।


इमरजेंसी में होगी तुरंत सप्लाई


इतना ही नहीं, नए सिस्टम से यह भी पता चलता रहेगा कि किस ब्लड बैंक में किस ग्रुप का कितना स्टॉक उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर अस्पताल ऑनलाइन डिमांड भेजकर ब्लड तुरंत मंगा सकेंगे। अधिकारियों का दावा है कि इस तकनीक से न केवल चोरी रुकेगी, बल्कि ब्लड मैनेजमेंट में पारदर्शिता और दक्षता भी आएगी।


बैग पर क्यूआर कोड और जीपीएस कंटेनर


ब्लड बैग पर चिपकाए गए क्यूआर कोड को स्कैन कर उसकी पूरी जानकारी देखी जा सकेगी। इससे गलत ब्लड चढ़ने की घटनाओं पर भी रोक लगेगी। वहीं, ब्लड बैग जिन कंटेनरों में भेजे जाएंगे, उन पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाएगा। इससे यह ट्रैक किया जा सकेगा कि बैग कैंप से किस ब्लड बैंक तक पहुंचा। इससे ब्लड को दूसरे राज्यों में गलत तरीके से भी नहीं भेजा जा सकेगा।


केस 1: नाकाबंदी में पकड़ा ब्लड


जनवरी 2025 में जोबनेर में पुलिस ने जयपुर-फलोदी मेगा हाईवे पर नाकाबंदी के दौरान एक कार से 250 यूनिट अवैध ब्लड बरामद किया गया है। मकराना से ब्लड डोनेशन में ब्लड एकत्रित करके सवाई माधोपुर भेजने की बात सामने आ रही है। लेकिन जिस ब्लड बैंक सेंटर पर ब्लड भेजा जाना था, वहां से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं पाए गए।


केस 2: अस्पताल से हुआ चोरी


मई 2024 में राजधानी जयपुर में स्थित जेके लॉन अस्पताल से 70 यूनिट प्लाज्मा चोरी हो गया। प्लाजमा चोरी होने की वारदात सामने आते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया था। अस्पताल प्रबंधन में इस संबंध में एमएमएस पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। मामले में अस्पताल के ही कार्मिक की लिप्तता पाई गई।


पारदर्शी उपलब्धता पर जोर


दरअसल, पिछले कुछ सालों में ब्लड डोनेशन कैंपों में जुटा खून चोरी-छिपे बेचने और हेराफेरी के मामले लगातार सामने आए हैं। ऐसे मामलों को रोकने और ब्लड की पारदर्शी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा विभाग ने यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि इस एप को डीओआईटी तैयार कर रहा है। इसे इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम (आईएचएमएस) से जोड़ा जाएगा, जिससे हर यूनिट का डेटा एक ही प्लेटफॉर्म पर दिख सकेगा।