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अरुण कुमार
Indian cement production: जयपुर। राजस्थान में सीमेंट उत्पादन के लिए आवश्यक चूना पत्थर (लाइमस्टोन), सिलिका, और जिप्सम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) के अनुसार, राज्य में 2,500 मिलियन टन चूना पत्थर भंडार हैं, जो सीमेंट उत्पादन का 60-65% हिस्सा बनाता है। इसके बावजूद, वित्तीय वर्ष 2024 में राजस्थान 74 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) उत्पादन के साथ देश में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि मध्य प्रदेश 80 एमटीपीए के साथ शीर्ष पर है। राजस्थान में चित्तौडग़ढ़, सवाई माधोपुर, बूंदी, उदयपुर, और सिरोही जैसे जिले सीमेंट उत्पादन के केंद्र हैं, जहां जेके सीमेंट, श्री सीमेंट और अंबुजा जैसे ब्रांड्स की 24 बड़ी इकाइयां और 104 छोटे कारखाने संचालित हैं। फिर भी राजस्थान में सीमेंट उद्योग कई खामियों के चलते देश में नंबर वन नहीं बन पा रहा है।
1-बिजली और पानी की कमी : सीमेंट उत्पादन ऊर्जा-गहन है, और राजस्थान में बिजली की लागत 7-8 रुपए प्रति यूनिट है, जो आंध्र प्रदेश (6-7 रुपए) से अधिक है। नहरों के बावजूद, चित्तौडग़ढ़ और सिरोही में पानी की उपलब्धता सीमित है, जो गीली प्रक्रिया (35-50% नमी) के लिए बाधा बनती है।
2-सरकारी लापरवाही से मुश्किल: राइजिंग राजस्थान समिट 2024 में 35,000 करोड़ रुपए के निवेश समझौते के बावजूद, केवल 20% निवेश धरातल पर उतरा। नई इकाइयों के लिए लाइसेंस और पर्यावरण मंजूरी में देरी ने प्रगति रोकी।
3-कच्चे माल का बड़ा निर्यात : राजस्थान से 10-12 एमटीपीए चूना पत्थर गुजरात, मध्य प्रदेश, और तमिलनाडु को निर्यात होता है, जिसकी कीमत 1,500-2,000 करोड़ रुपए है। यह निर्यात स्थानीय उत्पादन क्षमता को सीमित करता है।
4-प्रतिस्पर्धा और बुनियादी ढांचा: मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में रेल और सडक़ नेटवर्क बेहतर है, जिससे परिवहन लागत 10-15% कम है।
वित्तीय वर्ष 24 में भारत का सीमेंट उत्पादन 509 एमटीपीए रहा, जिसमें राजस्थान का योगदान 14.5% था। निर्यात में राजस्थान का हिस्सा 12,000 करोड़ रहा, जो गुजरात (20,000 करोड़) से कम है। उद्योग ने 2024 में राजस्थान में 2 लाख रोजगार सृजित किए, जिनमें 30% महिलाएं थीं।
1-निवेश पर जोर : राइजिंग राजस्थान के 35,000 करोड़ के समझौते को तेजी से लागू करने के लिए एकल खिडक़ी मंजूरी प्रणाली लागू हो।
2-बिजली और पानी : सौर ऊर्जा (राजस्थान में 142 गीगा वाट क्षमता) और नहर विस्तार (इंदिरा गांधी नहर) से लागत 20% कम हो सकती है।
3-कच्चे माल का संरक्षण : चूना पत्थर निर्यात पर 10% कर लगाकर स्थानीय उपयोग बढ़ाया जाए।
4-बुनियादी ढांचा : जयपुर-चित्तौडग़ढ़ फ्रेट कॉरिडोर और रेल नेटवर्क विस्तार से परिवहन लागत 15% कम होगी।
5-नई इकाइयां : दो निर्माणाधीन इकाइयां (3.5 एमटीपीए) 2025 तक शुरू हों, और जैसलमेर में नई इकाइयों की स्थापना हो।
उच्च बिजली लागत (30% उत्पादन लागत) और पर्यावरण नियमों ने निवेशकों को गुजरात और कर्नाटक की ओर आकर्षित किया। 2025 में भारत की सीमेंट मांग 550-600 एमटीपीए तक पहुंचेगी, जिसमें राजस्थान 77.5 एमटीपीए उत्पादन के साथ योगदान देगा। जयपुर और जोधपुर में स्थानीय व्यापारियों ने सुझाव दिया कि सरकार सब्सिडी (एमईआईएस जैसी) और सेज को बढ़ावा दे। यदि सरकार और उद्यमी समन्वय करें, तो राजस्थान 2026 तक मध्य प्रदेश को पछाड़ सकता है।
Published on:
24 Jul 2025 12:33 pm
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