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राजस्थान हाईकोर्ट: पिता की संपत्ति पर विवाहित संतान का कानूनी हक नहीं, बेटे को भरना होगा 1 लाख रुपए हर्जाना

राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर अधिकार का दावा करने वाले बेटे की अपील खारिज कर उस पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया। साथ ही कहा कि वयस्क संतान को पिता की संपत्ति में केवल उनकी सहमति से रहने का हक है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Nov 16, 2025

Land Pooling Act

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Rajasthan High Court: जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में पिता के खिलाफ अपील दायर करने वाले बेटे पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाया। हाईकोर्ट ने कहा कि वयस्क बेटे-बेटी बिना पिता की अनुमति के उनकी स्वअर्जित संपत्ति पर कानूनी हक नहीं जमा सकते।

कोर्ट ने कहा, उन्हें केवल स्नेह और प्रेम से ही पिता की संपत्ति पर रहने का अधिकार होता है और यदि पिता कहें तो वे संपत्ति को खाली करने के लिए बाध्य होंगे। न्यायाधीश सुदेश बंसल ने रितेश खत्री की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया।

साथ ही अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना राशि भले ही पिता के उत्पीड़न का उचित मुआवजा न हो, लेकिन यह संदेश देती है कि ऐसे मुकदमे दुर्भावना से नहीं किए जाने चाहिए।

सहमति से अधिकार

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मकान पिता की संपत्ति थी और बेटे को केवल पिता की सहमति से ही उसमें रहने का अधिकार था। बेटे ने इसे संयुक्त परिवार की संपत्ति बताने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।