इसी तरह 2003 में भाजपा की परिवर्तन यात्रा जिन इलाकों में गई, वसुंधरा राजे ने उसी क्षेत्र की परम्परागत पोशाक पहनी नजर आती थीं। राजे की इस स्टाइल से लोग उनसे खुद को जुड़ा महसूस करते थे। लोगों ने इसे खासा पसंद किया और उन्हें देशभर में इससे काफी प्रसिद्धि मिली थी। वहीं 2013 के चुनाव में उन्होंने ‘जय-जय राजस्थान’ का नारा बुलंद किया, जो अब तक चल रहा है।
उधर, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत कुर्ते-पायजामे के साथ कई मौकों पर अचकन पहने भी नजर आते हैं। चुनावी दौरों पर रहते समय गहलोत गले में मफलर या साफी डालना पसंद करते हैं। 2003 से 2008 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ‘हर गलती कीमत मांगती है’ का नारा दिया था।
लाडपुरा से विधायक भवानी सिंह राजावत चमक-दमक चुटीले रंग के कुर्र्ते-पायजामे और पगड़ी पहनने की स्टाइल को लेकर चर्चित रहे हैं। क्षेत्र का दौरा हो या फिर विधानसभा, हर दिन नए रंग के पहनावे के साथ राजावत दिखते रहे हैं।
झोटवाड़ा से विधायक राजपाल सिंह शेखावत भले ही छात्र राजनीति से निकल कर आए नेता हों, लेकिन वह भी अपने पहनावे को लेकर सजग रहने वाले नेताओं में शुमार हैं। उन्हें कभी खादी का कुर्ता-पायजामा पहने नहीं देखा गया है। उनको पेंट-शर्ट पहनना पसंद है। चाहे चुनावी दौरा हो या फिर कोई बैठक, वह इसी अंदाज में दिखाई देते हैं।
मूंडवा से विधायक ओटाराम देवासी रैबारी समाज से आते हैं और मंत्री बनने के बावजूद वह परम्परागत पोशाक को ही पहनना पसंद करते हैं। वह हमेशा लाल पगड़ी, सफेद धोती और कमर से ऊपर एक सफेद कपड़ा डाले रखते हैं।
बागीदौरा से विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीया वैसे तो सभी तरह के कपड़े पहनते हैं, लेकिन जब आदिवासी अंचल में होते हैं तो अधिकांशतया वह आदिवासियों की तरह कपड़े और उनकी परम्पराओं का निर्वहन करते दिखते हैं। अंता से विधायक प्रभुलाल सैनी अधिकांशतया धोती पहने दिखाई देते हैं।
‘पप्पू बंडा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं बंसल
भरतपुर से विधायक विजय बंसल उनके चुनावी क्षेत्र में ‘पप्पू बंडा ’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां लोग उन्हें इसी नाम से जानते और पुकारते हैं।
भरतपुर से विधायक विजय बंसल उनके चुनावी क्षेत्र में ‘पप्पू बंडा ’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां लोग उन्हें इसी नाम से जानते और पुकारते हैं।