
जयपुर।
माली-सैनी-कुशवाहा समाज का आरक्षण आंदोलन ( Rajasthan Mali Saini Reservation Protest ) आज 11वें दिन भी जारी है। सरकार और आंदोलनकारियों के बीच तमाम स्तर की वार्ताएं विफल होने के बाद आज एक बार फिर गतिरोध टूटने की उम्मीद बन रही है। दरअसल, आरक्षण संघर्ष समिति का 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज जयपुर में ओबीसी आयोग के समक्ष पेश होने जा रहा है। आयोग के साथ इस महत्वपूर्ण बैठक में क्या नतीजा निकलकर सामने आता है, ये दोपहर बाद तक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
जानकारी के अनुसार माली-सैनी-कुशवाहा समाज की आरक्षण संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर 1 बजे ओबीसी आयोग से मिलेगा और उनके समक्ष आरक्षण संबंधी मांग के सिलसिले में दस्तावेज़ और आंकड़े प्रस्तुत करेगा। प्रतिनिधिमंडल में समाज के ही एक्सपर्ट्स और आंदाेलन से जुडे़ नेताओं के नाम शामिल हैं। आयाेग से चर्चा के बाद आंदाेलन के भविष्य और हाईवे खाली करने पर विचार किया जाएगा।
वार्ता में यह होंगे शामिल
जयपुर वार्ता में संयोजक मुरारीलाल सैनी, मुख्य सचिव बदन सिंह, शैलेन्द्र कुशवाह, अंजलि सैनी एवं कमल सिंह सैनी सहित 21 सदस्यीय कमेटी शामिल होगी।
हाईवे पर कब्जा, नहीं बन रही बात
आगरा-बीकानेर हाईवे स्थित गांव अरोदा में पिछले 10 दिन से आंदोलनकारियों का कब्जा बना हुआ है। इससे वाहनों को भी वैकल्पिक मार्ग से होकर निकलना पड़ रहा है। नेशनल हाइवे का मुख्य मार्ग बाधित होने के कारण हज़ारों करोड़ का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। आंदोलनकारियों व प्रशासन के बीच अब तक कई स्तर पर वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बन सकी।
गांव की कच्ची सड़क बना नेशनल हाइवे
आंदोलनकारी जयपुर आगरा नेशनल हाईवे-21 को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। करीब एक किलोमीटर में डिवाइडर को तोड़ दिया गया है। डिवाइडर के बीच में लगे पेड़ पौधों को उखाड़ दिया गया है। नेशनल हाईवे पर मिट्टी की मोटी परत जम गई है। यह गांव की कच्ची सड़क सा नजर आ रहा है।
ऐसे रफ़्तार पकड़ता गया आंदोलन
20 अप्रैल को आंदोलन के नेता मुरारी लाल सैनी ने चक्काजाम का आह्वान किया था। अगले दिन शाम को फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी की अपील पर लोग घरों से निकल पड़े थे। इसके बाद 21 अप्रेल से आंदोलनकारी बिना किसी नेतृत्व के हाईवे पर अपना कब्जा जमा कर बैठ गए। हालांकि प्रशासन ने मुरारी लाल सैनी सहित 26 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
21 अप्रैल को समाज के लोग हाईवे पर आ गए। पहली मांग रखी कि मुरारी लाल सैनी सहित समाज के सभी लोगों को छोड़ दिया जाए। इस मामले पर फुले आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य बदन सिंह कुशवाह का कहना है कि सैनी समाज में ही कुछ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि हाईवे खाली हो, ये लोग समाज के निंदक हैं। समाज के लिए कलंक हैं। वे प्रशासन को भ्रमित कर रहे हैं।
ये है मांग
फुले आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले माली सैनी शाक्य मौर्य कुशवाहा आंदोलनकारियों ने माली सैनी कुशवाहा शाक्य मौर्य की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर 12 फीसदी विशेष आरक्षण देने व आरक्षण आंदोलन के दौरान आन्दोलनकारियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने की मांग को लेकर 21 अप्रेल की शाम को राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा से बीकानेर को अरोदा बेरी गांव पर जाम कर दिया था।
संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने 25 अप्रेल को मुख्यमंत्री आवास पर ज्ञापन दिया था। मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव ने ओबीसी आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर आन्दोलनकारियों की मांगों पर उचित कार्रवाई करने व 1 मई को संघर्ष समिति को ओबीसी आयोग से मुलाकात समय मुकर्रर किया था।
इसी रात आन्दोलन स्थल पर निकटवर्ती गांव मूढिया गंधार निवासी एक आन्दोलनकारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने के बाद आन्दोलनकारियों की मांग व उनकी पूर्ति के लिए करीब दर्जन भर वार्ता हुई, लेकिन हर बार वार्ता असफल रही। फुले आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से 12 जून 2022 को भी अपनी इन्हीं मांगों को लेकर अरोदा गांव पर चक्काजाम जाम किया था। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह व आन्दोलनकारियों के बीच समझौता वार्ता हुई थी, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए पुन: आंदोलन की राह पकड़ ली।
Published on:
01 May 2023 11:17 am
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