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शिव के अभिषेक के लिए सालों से बंद रास्ते को 21 लाख में खरीद जयपुर के लोगों ने पेश की अनूठी मिसाल

महाशिवरात्री पर्व से पहले शिवभक्तों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, राजधानी में चार साल से बंद नीलकंठ महादेव का खुला रास्ता

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जयपुर

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Rajesh

Feb 11, 2018

 Rajasthan news Neelkanth Mahadev Mandir in Jaipur MahaShivratri Festival Lord Shiva

शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि इस बार दो दिन मनाया जाएगा। मतों की भिन्नता के चलते राजस्थान में यह त्योंहार 13 फरवरी को मनाया जाएगा। वहीं महाशिवरात्री से पहले वैशाली नगर के पश्चिम विहार में अनूठी मिसाल पेश हुई। इस मिसाल से श्रद्धालुओं को नीलकंठ महादेव मंदिर तक पहुंचने का अब रास्ता मिल गया है। चार साल पहले मंदिर तक जाने का रास्ता क्या बंद किया वहां पूजा-अर्चना ही बंद हो गई। डेढ़ साल तक शिव परिवार का जलाभिषेक नहीं हो पाया। ऐसे में स्थानीय बाशिंदे और महिला मंडल आगे आए। उन्होंने प्रयास किए और साढ़े इक्कीस लाख खर्च करके पार्क से जुड़ते भूखंड मालिक से रास्ता खरीदा। खास बात यह है कि यह पूरी राशि कॉलोनी के लोगों से सहयोग के तौर पर मांगी गई।

जानकारी के अनुसार पश्चिम विहार के लंबे-चौड़े पार्क में चार साल पहले जेडीए ने एक दीवार का निर्माण करवा गेट लगवा दिया था। पार्क के एक हिस्से को जेडीए की ओर से विकसित कर दिया गया। जबकि दीवार के पीछे स्थित भाग को यूं ही छोड़ दिया गया। उस हिस्से में पंद्रह साल पुराना नीलकंठ महादेव मंदिर है जिसमें पश्चिम विहार सहित आस-पास की कॉलोनियों से लोग पूजा करने आते थे। वहां रोज जलाभिषेक होता और सावन में तो अलग ही छटा नजर आती है।

जमीन देख नीयत डोली -

बताया गया कि दीवार के पीछे काफी खाली जमीन देख लोगों की नीयत डोल गई। उन्होंने गुपचुप तरीके से जेडीए की ओर से मंदिर के लिए छोड़े गए गेट को ही हटा दीवार का निर्माण करवा दिया। इसके बाद से मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं की दिक्कतें शुरू हो गईं। मंदिर तक नहीं पहुंच पाने के कारण शिव परिवार का रोजाना होने वाला जलाभिषेक भी बंद हो गया।

तब सामने आया महिला मंडल -

करीब डेढ़ साल तक मंदिर में पूजा बंद रही। लेकिन एरिया में सक्रिय जयश्री कृष्णा महिला मंडल ने तब बीड़ा उठाकर भगवान के लिए रास्ता खोजने के प्रयास किए। मंडल अध्यक्ष कौशल्या शर्मा के अनुसार सबसे पहले पश्चिम विहार विकास समिति पदाधिकारियों से बात की गई। उसके बाद मंदिर से लगते भूखंड मालिक से आग्रह कर आवाजाही शुरू करवाई। इसके बाद वहां पूजा तो शुरू हो पाई। लेकिन यदा-कदा ऐसा होता कि जब मालिक भूखंड के बार गेट पर ताला लगा देता ऐसे में भक्तों को बिन पूजन लौटना पड़ता।

अब बस रास्ता खरीदेंगे -

ऐसे में महिला मंडल सदस्यों ने एक दिन विकास समिति सदस्यों के साथ भूखंड मालिक अनिल चौधरी से बात कर अपनी पीड़ा बताई। शुरू में मकान मालिक भूखंड में से रास्ता देने को तैयार नहीं था लेकिन जब जनभावना देखी तो वह मान गया। पांच फीट चौड़ा, 80 फीट लंबे रास्ते के कीमत 21 लाख रुपए तय की गई।

मैं तो ज्यादा दूंगी -

विकास समिति अध्यक्ष दिलीप सिंह पाटोदा के अनुसार भुगतान बाजार भाव से रास्ते के लिए भुगतान करना था। रकम बड़ी थी। ऐसे में तय हुआ कि महिला मंडल सदस्य, विकास समिति लोगों से सहयोग मांगेगी। इसके बाद से कौशल्या शर्मा, ज्योति शर्मा, अनुसूया बोचीवाल, उर्मिला, किरण, राजकुमारी, चांद कंवर, कृष्णा कायत जुट गए। घर के काम से फ्री होते ही फंड एकत्र करने में जुट जाते। तीन सप्ताह में 21 लाख जुटा लिए गए। बाद में तो कई परिवारों को मना तक करना पड़ा। हालांकि कई लोगों का कहना था कि इसके अलावा भी कोई जरूरत हो तो हम तैयार हैं। एक सरकारी महिला कर्मचारी से राशि तो कम मांगी गई लेकिन उन्होंने 51 हजार का सहयोग किया।

खास-खास -

20 दिन में एकत्र हुई पूरी रकम। -सबसे ज्यादा 1 लाख 1 हजार रुपए दान किए एक परिवार ने। 70 लोगों ने दिया सहयोग। 4 परिवारों ने एक-एक लाख की मदद की। 7 परिवारों ने 50-50 हजार दिए। ज्यादातर लोगों ने 11 हजार,21 हजार दिए। सबसे कम 500 रुपए दिए। 53500 रुपए में रजिस्ट्री करवाई।