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Good News : डाक विभाग में मिलेगा गंगोत्री का गंगा जल, अब सावन माह में घर में ही करें गंगा स्नान, कीमत जानकर रह जाएंगे दंग

Postal Department Initiative : डाक विभाग की नई पहल। अब पोस्ट आफिस में ही गंगा जल मिल रहा है। सावन में घर पर गंगा स्नान कर अपने पाप को धोएं। कीमत इतनी की जानकर रह जाएंगे दंग।

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Postal Department Initiative : जयपुर में डाक विभाग की नई पहल। अब कठौती (पुराने दौर में चमड़ा गलाने वाला पात्र, जिसमें पानी भरा जाता था) में नहीं बल्कि राजधानी जयपुर में शिव भक्तों के घरों में मां गंगा का वास होगा। ऐसे में सावन माह या किसी विशेष तिथि पर पवित्र स्नान करने या भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करने के इच्छुक भक्तों को हरिद्वार, वाराणसी या प्रयागराज जाने की आवश्यकता नहीं होगी। अब वे घर पर ही गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कर सकेंगे। इसके लिए डाक विभाग ने पहल की है तथा बाजार से 50 प्रतिशत कम कीमत पर शहर के सभी डाकघरों में गंगाजल उपलब्ध है।

बोतल की कीमत 60 से 70 रुपए तक

सावन माह में सभी शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषेक व अन्य अनुष्ठानों में गंगाजल की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए डाक विभाग ने गंगोत्री से पवित्र जल मंगाया है। राजस्थान की पिंकसिटी जयपुर सिटी डिवीजन के एसएसपी मोहनसिंह मीणा ने बताया कि 250 एमएल की बोतल 30 रुपए में उपलब्ध है, जबकि बाजार में इस आकार की बोतल की कीमत 60 से 70 रुपए तक है।

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शिवालयों के बाहर प्रत्येक सोमवार को कैनोपी लगाकर बेचेंगे गंगाजल

मोहनसिंह मीणा ने आगे बताया कि पखवाड़े भर पहले राजधानी के डाकघरों से गंगाजल की 25 बोतलों की बिक्री होती थी। अब सावन नजदीक आते ही यह आंकड़ा 80 के करीब पहुंच गया है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर, झाड़खंड महादेव, चमत्कारेश्वर महादेव व जंगलेश्वर महादेव मंदिर सहित अन्य बड़े शिवालयों के बाहर प्रत्येक सोमवार को कैनोपी लगाकर गंगाजल बेचा जाएगा।

सनातन धर्म के लोग घर में रखते हैं गंगाजल - पं.पीयूष वशिष्ठ

ज्योतिषाचार्य पं.पीयूष वशिष्ठ ने कहा सनातन धर्म के लोग घर में गंगाजल रखते हैं। अनुष्ठान सहित विशेष अवसरों पर गंगाजल का उपयोग होता है। इसलिए वर्षभर इसकी मांग बनी रहती है।

गंगा नदी में स्नान के समान ही मिलता है पुण्य

ज्योतिषाचार्य पं. पीयूष वशिष्ठ और पं. सुधाकर पुरोहित का कहना है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा। भागीरथ की व्यथा सुनकर धरती को बचाने के लिए भोलेनाथ ने अपनी जटाओं को खोल दिया था। इसके बाद मां गंगा देवलोक से उतरकर भगवान शिव की जटाओं मेें समा गई थी। इस चलते गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने का विशेष महत्व है। किसी कारणवश पवित्र स्नान के लिए गंगा नदी न जा पाने वाले श्रद्धालु घर पर ही गंगा जल मिश्रित जल से स्नान करें तो उन्हें गंगा नदी में स्नान के समान ही पुण्य मिलता है।

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