
राजस्थान की 4 विभूतियों को 'पद्म श्री'
[typography_font:14pt]इस बार भी दिखी ऊंट की सुसज्जित प्रतिमा
[typography_font:14pt]झांकी के पिछले भाग में 'रेगिस्तान का जहाज' ऊंट की सुसज्जित प्रतिमा दिखाई दी। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) ने वर्ष-2024 को उष्ट्र (ऊंटों) वर्ष घोषित किया है। गोरबंद में सजे-धजे दो ऊंटों की झांकी प्रतिवर्ष राजस्थान में होने वाले ऊंट उत्सव को प्रतिबिंबित कर रही है।
[typography_font:14pt]ग्रामीण जनजीवन को भी करवाया रु-ब-रु
झांकी में विशेष राजस्थानी ग्राम्य जन जीवन के प्रतीक के रूप में राजस्थानी लिबास में सजे धजे पुरुष की मूर्ति दर्शाई गई। साथ ही झांकी में ऊंट पर राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहने राजस्थानी महिला सवार भी दर्शायी गई है। ऊंट के पीछे राजस्थान के स्थापत्य को हाथी युक्त विशेष तोरण द्वार, कलात्मक छतरियों युक्त मीनार को भी गुलाबी रंग पर सफेद रंग से बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया।
[typography_font:14pt]फ्यूज़न धुनों के संगीत ने लुभाया
[typography_font:14pt]झांकी में राजस्थानी संगीत की मनभावन प्रस्तुति के साथ घूमर और गोरबंद गीतों की विभिन्न लोक वाद्य यंत्रों के द्वारा फ्यूजन धुनों पर, झांकी के दोनों ओर दस लोक नर्तकियां पारंपरिक घूमर नृत्य करती दिखाई दीं।
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[typography_font:14pt;" >'विकसित भारत' संकल्पना की झलक
इस सांस्कृतिक झांकी में विकसित भारत की संकल्पना के अंतर्गत राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति में समाए महिला हस्तशिल्प उद्योगों के विकास का सुंदर ढंग से प्रदर्शन किया गया। यह राजस्थान के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के आलोक में यहां हुए नवीन स्थापत्य निर्माण की एक सुंदर झांकी है।राजस्थान की यह झांकी परंपरा के आलोक के साथ विकसित भारत की संकल्पना लिए हुए है।
Published on:
26 Jan 2024 01:43 pm
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