शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में रोजाना कई ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में आवदेन कर रखा है, लेकिन उनका कार्ड या तो चालू नहीं है या फिर मरीज का नाम योजना में जुड़ा हुआ नहीं है। पूर्व में अस्पताल प्रशासन ऐसे मरीजों के इलाज के लिए पोर्टल पर कलक्टर से स्वीकृति के ऑनलाइन आवेदन कर देता था। जिसे डीएम अप्रूवल कहा जाता है।
कुछ ही घंटों में स्वीकृति मिलते ही मरीज का इलाज भी शुरू हो जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। कारण कि आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के पोर्टल पर यह प्रक्रिया अस्थाई तौर पर बंद कर दी गई। पोर्टल पर कोर्ट ऑफ कंडक्ट का हवाला दिया जा रहा है। कुछ लोग कलक्टर से आनन फानन में कलक्ट्रेट में भी ऑफ लाइन स्वीकृति के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वहां से भी स्वीकृति लेना चुनौती से कम नहीं है।
आईसीयू में, नहीं लगवा पा रहे पेसमेकर
मरीज को चार अप्रेल को निजी अस्पताल से सवाईमानसिंह अस्पताल लाया गया। जहां उन्हें आईसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया। मरीज को पेसमेकर आईसीबीडी डाला जाना था, जिसका खर्चा करीब 4,50,000 रुपए है जिसको परिवार वहन नहीं कर सकता था। उनका चिरंजीवी कार्ड बना हुआ है, लेकिन आचार संहिता के कारण उसको अपडेट नहीं करवा पा रहे। दूसरी योजना में इलाज लेना भी चुनौती
जो मरीज इस प्रक्रिया के चलते इलाज लेने से वंचित हो रहे हैं, उनका मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। लेकिन काफी कम संख्या में ही मरीजों को इस योजना का लाभ मिल पा रहा है। क्योंकि इसके लिए भी अस्पताल प्रशासन से मरीजों के परिजनों को गुहार लगानी पड़ रही है। अवकाश के दिन सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
इन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी
सवाई मानसिंह अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, टीबी अस्पताल में मरीज इलाज के लिए आते हैं। जिसमें कैंसर, हार्ट, किडनी, पेट संबंधी बीमारियों से ग्रस्त गंभीर मरीज भी शामिल हैं। इनके अलावा कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें सर्जरी की तारीख मिली हुई है। अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि कार्ड एक्टिव नहीं या फिर उनका नाम जुड़ा हुआ नहीं है। ऐसे मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ रही है। आनन फानन में परिजन उन्हें निजी अस्पतालों में ले जाने को मजबूर हैं।