
सांभर झील में बन रहा हाई स्पीड ट्रायल ट्रैक, दौड़ेगी बुलेट ट्रेन, पत्रिका फोटो
Sambhar Salt Lake: जयपुर-जोधपुर रेलमार्ग पर बन रहा देश का पहला हाई स्पीड रेलवे ट्रायल ट्रैक सरकारी बेरुखी के कारण दलदल में फंसा नजर आ रहा है। कारण कि, तीन साल बाद भी रेलवे सांभर झील क्षेत्र में 2.5 किमी ट्रैक बिछाने की मंजूरी नहीं पा सका है। ऐसे में तय समय पर इसका शुरू होना मुश्किल लग रहा है, जिससे रेलवे की समय और लागत दोनों बढ़ना तय है। इसके साथ ही राजस्थान में बुलेट ट्रेन के ट्रायल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
रेलवे ने जयपुर-जोधपुर रेलमार्ग पर वर्ष 2019-20 में 64 किमी लंबे हाई स्पीड (200 किमी प्रति घंटा स्पीड) ट्रायल ट्रैक की बजट घोषणा की थी और वर्ष 2020 में उसका काम शुरू हुआ। जो अब तक 80 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस ट्रैक को नावां के पास गुढ़ा से मीठड़ी तक व सांभर झील के किनारे तक बिछाया जाना प्रस्तावित है। लेकिन सांभर झील के वेटलैंड क्षेत्र के 2.5 किमी का हिस्सा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी के अभाव में अटका है।
तीन साल में कई बार राज्य सरकार और मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन हर बार कोई न कोई आपत्ति आ खड़ी हुई। रेलवे अफसरों के मुताबिक, झील क्षेत्र का काम अटकने से कई तकनीकी काम भी ठप हैं। ऐसे में जब तक यह हिस्सा पूरा नहीं होगा, ट्रैक का संचालन संभव नहीं। दिसंबर तक इसे चालू करने का लक्ष्य है, लेकिन मुश्किल लग रहा है।
इस मामले में राज्य सरकार की स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी का तर्क है कि, सांभर झील अंतरराष्ट्रीय रामसर साइट है, जहां नया निर्माण प्रतिबंधित है। जबकि रेलवे का कहना है कि, झील में पहले से ही नमक ढुलाई के कई रेल ट्रैक और जयपुर-जोधपुर की मुख्य रेललाइन मौजूद है। ऐसे में महज 2.5 किमी ट्रैक पर अड़ंगा लगाना समझ से परे है। रेलवे अब राज्य सरकार से दोबारा संवाद कर मंजूरी दिलाने की तैयारी में है।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इसी तरह के ट्रैक पर हाई स्पीड ट्रायल होते हैं। भारत में नई ट्रेन या वैगन का परीक्षण करते समय यातायात रोकना पड़ता है। यह ट्रैक चालू होने से न सिर्फ नए इंजनों और कोच का ट्रायल सुगम होगा बल्कि भविष्य में बुलेट ट्रेन के कोच भी यहीं परखे जा सकेंगे। रेलवे के लिए यह एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि यहां 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रायल हो सकेगा।
इस मामले में वन एवं पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि, यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है और पहले से मौजूद पटरियों को देखते हुए मंजूरी में देरी नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि यह रुकावट करोड़ों के निवेश और वर्षों की मेहनत पर पानी फेर सकती है।
Updated on:
21 Jul 2025 09:11 am
Published on:
21 Jul 2025 07:58 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
