
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से 'अक्टूबर उमंग: लोक संस्कृति संग' थीम पर आयोजित दशहरा नाट्यउत्सव के चौथे दिन कई महत्वपूर्ण प्रसंग मंचित हुए। लाइव ऑर्केस्ट्रा म्यूजिक और घनाक्षरी, चौपाइयों के बीच अशोक राही के निर्देशन में जेकेके के ओपन थियेटर में सोमवार को रावण-विभीषण संवाद, राम-विभीषण भेंट, अंगद का रावण दरबार में राम संदेश लेकर जाना, लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध और हनुमान का संजीवनी बूटी लाना जैसे प्रसंग प्रभावी रहे। आज इस लोक नाट्य का रावण वध और रघुपति के सीता-लखन के साथ अयोध्या वापस लौटने के साथ समापन होगा। इस रामलीला में प्रदेश के अलग-अलग शहरों के कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।
लक्ष्मण की बची जान, तो गूंजी तालियां
लंका दरबार में रावण-अंगद संवादों में अवधी और ङ्क्षहदी भाषा का लालित्य दिखा। लक्ष्मण-इंद्रजीत के युद्ध दृश्य ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। ब्रह्मास्त्र से मूर्छित हुए लक्ष्मण के लिए राम के बहते आंसुओं ने सभी को द्रवित कर दिया। जब हनुमान ने लक्ष्मण के प्राण बचाए तो यह दृश्य देख खूब तालियां बजीं।
शरणागत रक्षा का संदेश
राम ने भाई की कुशल पर राहत की सांस ली, उधर विभीषण से राम का बखान सुनकर रावण आग-बबूला हो उठा। विभीषण को राज्य से निकाल दिया। राम ने शरण में आए विभीषण को गले लगाकर शरणागत की रक्षा का संदेश दिया।
समुद्र पर बांधा सेतु...
शालीनता से काम ले रहे राम का धैर्य उस वक्त जवाब दे गया, जब आग्रह करने के बाद भी समुद्र ने उन्हें रास्ता ना दिया। उनका आक्रोश देख समुद्रदेव डर गए। प्रभु चरणों में वंदन कर उन्होंने सेतु निर्माण की राह दिखाई। वानर सेना ने समुद्र पर सेतु बांधा। राम जी को संग ले, वेग ले-उमंग ले, राम जी की सेना चली' गीत ने ओपन थिएटर में बैठे दर्शकों में जोश भर दिया।
Published on:
24 Oct 2023 09:18 am
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