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Resident Doctor Strike: रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान, ऑपरेशन टले

Resident Doctor Strike: जयपुर. बॉन्ड नीति में बदलाव सहित अन्य मांगों को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट्स डॉक्टर्स बीते नौ दिनों से हड़ताल पर हैं। हड़ताल से व्यवस्थाएं चरमरा गई है।

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जयपुर. बॉन्ड नीति में बदलाव सहित अन्य मांगों को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट्स डॉक्टर्स बीते नौ दिनों से हड़ताल पर हैं। हड़ताल से व्यवस्थाएं चरमरा गई है।
रेजीडेंड डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक वे हड़ताल पर रहेंगे, उधर बीती शाम को सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि रेजीडेंट्स के साथ समझौता वार्ता में सहमति बन गई है, जिसके बाद 85 फीसदी रेजीडेंट्स काम पर लौट आए है। जबकि अस्पतालों में ऐसा बिल्कुल नजर नहीं आ रहा है।

रेजीडेंट डॉक्टरों ने गुरूवार से आईसीयू व इमरजेंसी सेवाओं का भी बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। ऐसे में सीनियर चिकित्सकों को मोर्चा संभालना पड़ रहा है। इधर इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को तुरंत कौन संभालेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अमूमन 1700 रेजिडेंटस पूरी तरह से चिकित्सा सेवाओं का मोर्चा एसएमएस सहित उनसे जुड़े अस्पतालों में संभालते हैं।
रैली निकालकर जताया रोष
चिकित्सकों ने आरडी होस्टल से लेकर त्रिमूर्ति सर्किल तक रैली भी निकाली। राज्य सरकार ने हड़ताल को देखते हुए तीन दिन पहले ही एपीओ चल रहे 111 डॉक्टर्स को हड़ताल प्रभावित हॉस्पिटल में ड्यूटी देने के आदेश जारी कर दिए थे। वहीं सीनियर डाक्टर्स को ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी सेवाओं में लगातार ड्यूटी देने के निर्देश दिए गए है। सरकार की कूटनीतियों तथा विभाजनकारी मंशा के साथ आंदोलन कमजोर करने की कोशिशों के विरोध में रेजीडेंटस चिकित्सकों ने आगामी दिनों में राजव्यापी उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

अस्पतालों की चरमरा रही है व्यवस्थाएं
सरकार का जार्ड की अनुपस्थिति में समझौता करना रेजीडेंट्स को बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है ऐसे में आंदोलन को आगे की दिशा देते हुए जीबीएम में इमरजेंसी , ट्रॉमा सेंटर, लेबर रूम एवं आईसीयू सेवाएं बंद करने का निर्णय लिया गया है। रेजीडेंट की हड़ताल से सभी बड़े ऑपरेशन भी टाले जा रहे हैं।

सभी वार्ता रही बेनतीजा
कई बार सरकार के स्तर पर चिकित्सकों की वार्ता भी हुई, लेकिन अभी तक सभी वार्ता बेनतीजा साबित हुईं हैं। इस बीच सरकार इन चिकित्सकों को राहत देने की बात कह रही है। हालांकि चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया का कहना है कि रेजीडेंट्स के साथ हमारी लगातार वार्ता हो रही है। वार्ता के दौरान बॉन्ड से जुड़ी परेशानियां सुनी जा रही है। साथ ही अपना पक्ष भी रख रहे हैं। जब चिकित्सक पीजी करने आते हैं तो उनसे बॉन्ड भरवाया जाता है। इसके तहत पीजी पूर्ण होने के बाद उन्हें 5 साल अपनी सेवाएं प्रदेश में देनी होती हैं। लेकिन बॉन्ड की अवधि 5 साल से घटाकर 2 साल किया गया है।