विकास जैन
जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए शुरू की गई राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में कुछ निजी अस्पतालों की मनमानी अब भी बरकरार है। सरकार ने निजी अस्पतालों को इलाज के लिए अनुबंधित तो कर लिया, लेकिन इनमें से कई अस्पतालों ने आरजीएचएस मरीजों के लिए अपनी सुविधानुसार गाइडलाइन बना दी हैं।
अजमेर और कोटा सहित प्रदेश के कई शहरों में निजी अस्पतालों ने आरजीएचएस मरीजों की अधिकतम संख्या तय कर रखी है। एक दिन में केवल 10 या 15 मरीज ही देखे जाएंगे, बाकी को अगली तारीख दी जाती है। जबकि अनुबंध में ऐसे कोई निर्देश नहीं है। कुछ अस्पतालों में तो दोपहर 1 बजे के बाद आरजीएचएस मरीजों की फाइल ही नहीं ली जाती।
पेंशनभोगी और बुजुर्ग मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। लंबी कतार, डॉक्टर्स की लेटलतीफी और अस्पताल के तय नियमों के कारण उन्हें कई बार बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है। जयपुर निवासी 74 वर्षीय महिला मरीज ने बताया कि हमें सुबह जल्दी बुला लिया जाता है, लेकिन डॉक्टर 11 बजे तक नहीं आते। बैठने की जगह भी नहीं मिलती।
जयपुर: तारों की कूंट दुर्गापुरा निवासी मरीज की कुछ वर्ष पहले बाइपास सर्जरी हो चुकी है। उनका मानसरोवर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। 18 जून को वे सुबह दस बजे दिखाने के लिए पहुंचे तो उन्हें बताया कि आरजीएचएस मरीजों की पर्ची सुबह 7 से 9 बजे तक ही बनाई जाएगी और डॉक्टर 10 बजे से देखना शुरू करेंगे। हालांकि सरकार की ओर से ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है। यह अस्पताल का ही बनाया हुआ नियम है। दूसरी ओर, सामान्य मरीजों के लिए पर्ची और परामर्श समय पर हो रहे हैं, उनके लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं।
अजमेर: आरजीएचएस से लाभान्वित एवं ज्ञान विहार निवासी महिला मरीज ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पुष्कर रोड स्थित निजी अस्पताल में सुबह 6 बजे से ही आरजीएचएस के मरीजों की काउंटर पर लाइन लग जाती है। सात मरीज की पर्ची बनाने के बाद काउंटर बंद हो जाता है। वहीं शहर के दो-तीन प्रमुख निजी अस्पतालों में सुबह ओपीडी काउंटर पर आरजीएचएस के सात-सात मरीजों को ही परामर्श एवं उपचार की सुविधा दी जा रही है। पढे़ं सात ञ्च पेज १५
पुष्कर रोड स्थित निजी अस्पताल में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर चिकित्सकों से परामर्श व उपचार मिल रहा है। एक निजी अस्पताल के कार्मिक के अनुसार ऑपरेशन के लिए भी सात से अधिक मरीज एक दिन में रजिस्टर्ड नहीं कर रहे हैं। कचहरी रोड स्थित निजी अस्पताल के कार्मिक के अनुसार हम आरजीएचएस के सात से दस मरीज का ही इलाज कर पाते हैं। सरकार बकाया राशि जमा नहीं करवा रही है। प्रतिदिन 2 से 4 लाख रुपए का बिल बन रहा है।
कोटा: आरजीएचएस में कुछ निजी अस्पताल जांच में मनमानी कर रहे हैं। पहले मरीजों को केवल दो घंटे ही पर्ची बनाते है और एक घंटे ही जांच की सुविधा दी जाती है। ऐसी शिकायतें सीएमएचओ तक भी पहुंची है।
अब तक इस योजना की जिम्मेदारी वित्त विभाग के पास थी, लेकिन लगातार मिल रही शिकायतों और ऑपरेशनल दिक्कतों के चलते हाल ही में इसे स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया गया है। नए सिरे से निरीक्षण और मॉनिटरिंग की बात कही जा रही है, लेकिन सुधार का फिलहाल इंतजार ही है।
योजना में व्यापक सुधार करते हुए पेशेंट फ्रेंडली बनाया जा रहा है, जिससे गड़बड़ी ना हो। क्रियान्वयन को बेहतर बनाने, अस्पतालों फार्मेसी स्टोर के एम्पेनलमेंट, क्लेम प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सुगम बनाने के लिए काम शुरू किया गया है। ग्रिवेन्स रिडरेसल सिस्टम विकसित किया जा रहा है। पोर्टल पर भी फीडबैक का ऑप्शन उपलब्ध करवाया जाएगा।
-गजेन्द्र सिंह खींवसर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
Updated on:
25 Jun 2025 06:59 am
Published on:
25 Jun 2025 06:58 am