जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल को लेकर गहलोत सरकार और प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों के बीच गतिरोध बरकरार है। जनहित से जुड़े इस मुद्दे पर विधानसभा के अंदर और बाहर आज भी माहौल गर्माया रहा। इधर, सरकार का विरोध कर रहे प्राइवेट डॉक्टर्स पर पुलिस लाठीचार्ज पर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। साथ ही चिकित्सकों पर हुए लाठीचार्ज की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने चिकित्सकों पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा स्थगन प्रस्ताव के ज़रिये उठाया। राठौड़ ने कहा कि कोरोना महामारी के समय अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर लाखों जीवन बचाने वाले धरती के भगवान ‘चिकित्सकों’ की आवाज को सरकार लाठी के दम पर कुचलना चाहती है। राठौड़ ने कहा कि ‘धरती के भगवान’ माने जाने वाले करीब 32 हज़ार डॉक्टर्स अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए आंदोलनरत हैं। लेकिन सैरकार उनकी सुनवाई करने के बजाये उनपर लाठियां भांज रही है। जयपुर में सोमवार को हुए पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज में महिला डॉक्टर्स सहित डेढ़ दर्जन डॉक्टर्स घायल हुए। ऐसा राजस्थान में पहली बार हो रहा है।
उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि डॉक्टर्स के आंदोलन के चलते प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था ठप्प है। वहीं सभी सरकारी सीएचसी-पीएचसी में भी व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। 22 हज़ार आईसीयू के बेड्स में लगभग साढ़े 16 हज़ार भर्ती मरीज जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाने से जीवन हार रहा है और मृत्यु जीत रही है। ऐसे में इस ज़बरदस्ती थोपे जा रहे काले कानून पर डॉक्टर्स से संवाद स्थापित करे। साथ ही उनपर हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच का आदेश दे।