12 जुलाई 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

RIICO: राजस्थान के 37 औद्योगिक क्षेत्रों में 6 साल से विकास ठप, 5 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां प्रभावित

industrial policy: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उलझा मामला, अब सरकार नया कानून लाकर फिर से रीको को सौंपेगी जिम्मेदारी

जयपुर

Rajesh Dixit

Jun 23, 2025

फाइल फोटो-स्त्रोत-राजस्थान सरकार।
फाइल फोटो-स्त्रोत-राजस्थान सरकार।

राजेश दी​क्षित

Industrial Development: जयपुर। राजस्थान के 37 औद्योगिक क्षेत्रों में पिछले छह वर्षों से विकास कार्य पूरी तरह से रुके हुए हैं। इन क्षेत्रों में करीब 5,000 से अधिक फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अस्पष्टता और कानूनी उलझनों के कारण यहां कोई विकास नहीं हो रहा है। रीको और जिला उद्योग केंद्रों के बीच अधिकारों के टकराव ने इन क्षेत्रों को बिना "धणी-धोरी" के छोड़ दिया है।

वर्ष 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद राज्य सरकार द्वारा किए गए रीको को हस्तांतरण आदेश को निरस्त कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप न तो रीको और न ही जिला उद्योग केंद्र इन औद्योगिक क्षेत्रों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पिछले छह वर्षों में इन क्षेत्रों में न तो सड़कों का निर्माण हुआ है, न बिजली कनेक्शन मिल रहे हैं, और न ही भवन स्वीकृति जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो पाई हैं।

अब राज्य सरकार ने नया कानून लाकर इन औद्योगिक क्षेत्रों को फिर से रीको को सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे यहां के अटके विकास कार्यों को गति दी जा सके।


यह भी पढ़ें: Bisalpur Dam: नियमित जल आपूर्ति के बावजूद बीसलपुर बांध में पानी की आवक लगातार जारी

लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा से सीधी बात

सवाल 1: पुराने औद्योगिक क्षेत्रों को फिर से रीको को सौंपने की क्या योजना है?
ओझा: रीको बनने से पहले राजस्थान में औद्योगिक क्षेत्रों की जिम्मेदारी जिला उद्योग केन्द्र निभाते थे। वर्ष 1973 में रीको के गठन के बाद सभी औद्योगिक क्षेत्रों को रीको को सौंप दिया गया था। लेकिन कोटा की एक औद्योगिक इकाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया।

सवाल 2: फिलहाल स्थिति क्या है?
ओझा: आज ये औद्योगिक क्षेत्र न तो रीको के अधिकार में हैं और न ही जिला उद्योग केंद्र के। सुप्रीम कोर्ट ने रीको द्वारा पूर्व में किए गए विकास कार्यों को भी अवैध घोषित कर दिया है। इसका सीधा असर पांच हजार से ज्यादा इकाइयों पर पड़ा है। लोन, भवन निर्माण, बिक्री-खरीद, बिजली-सड़क जैसी सुविधाएं सब कुछ रुक गया है।

सवाल 3: कितने औद्योगिक क्षेत्र इस दायरे में आते हैं?
ओझा: कुल 37 औद्योगिक क्षेत्र इस विवाद की चपेट में हैं। इनमें 5000 से अधिक लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं। ये सभी इकाइयां काफी पुरानी हैं और अब कई तो शहरों के बीच आ चुकी हैं, जिससे इनका महत्व और भी बढ़ जाता है।

सवाल 4: उद्योगों पर इसका क्या प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है?
ओझा: विकास पूरी तरह ठप है। कोई विभाग इन इकाइयों का मालिक नहीं है। बैंक लोन नहीं दे रहे, भवन निर्माण की स्वीकृतियां अटकी हुई हैं, और न ही फैक्ट्रियां बेची या खरीदी जा सकती हैं। यह स्थिति उद्यमियों के लिए बेहद संकटपूर्ण है।

सवाल 5: अब समाधान क्या है? सरकार क्या कर रही है?
ओझा: राजस्थान सरकार ने एक नया कानून बनाया है, जिसके तहत 1973 से पहले के औद्योगिक क्षेत्रों को विधिवत रूप से रीको को हस्तांतरित किया जाएगा। इसके तहत रीको द्वारा पूर्व में किए गए सभी विकास कार्य भी वैध माने जाएंगे। यह एक्ट कैबिनेट द्वारा पास हो चुका है और अब प्रवर समिति को सौंपा गया है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे विधिवत बिल के रूप में पारित किया जाएगा।


यह भी पढ़ें: “कर्मभूमि से मातृभूमि” क्या राजस्थान बनेगा जल आत्मनिर्भर? जानिए इस अभियान की पूरी कहानी