
जयपुर। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए जिस सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 को देश की संसद ने पारित किया उस कानून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत समिति ने बाकायदा साधारण सभा में प्रस्ताव पारित कर ठुकरा दिया।
सांसद, जिला प्रमुख, विधायक, प्रधान, उपखण्ड अधिकारी और विकास अधिकारी की मौजूदगी में हुई बैठक में पंचायत समिति ने बाकायदा प्रस्ताव पारित किया कि आरटीआई आवेदक को सूचना नहीं देनी है।
राजस्थान सूचना आयोग में एक परिवाद में यह जानकारी सामने आने के बाद आयोग ने इसे गम्भीरता से लेते हुए कड़ी फटकार लगाई है। सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने इस मामले में पंचायत समिति के विकास अधिकारी हरिकेश मीणा के खिलाफ राज्य सरकार को अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देेष दिए हैं।
पंचायत समिति बैठक की मिनट्स में किया निर्णय
आयोग ने परिवादी शरद पण्ड्या के परिवाद पर यह निर्णय दिया। पण्ड्या ने सूचना नहीं मिलने पर आयोग को शिकायत की थी। आयोग के नोटिस पर जवाब में घाटोल के विकास अधिकारी हरिकेश मीणा ने जवाब दिया कि पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि सूचना नहीं दी जाए। मीणा ने आयोग को उक्त बैठक का कार्यवाही विवरण भी प्रेषित किया। इस बैठक में तत्कालीन सांसद मानशंकर निनामा, जिला प्रमुख रेशम मालवीय, विधायक हरेन्द्र निनामा सहित अन्य अधिकारी भी शामिल थे।
जनप्रतिनिधि कानूनी तौर पर काम करने में विफल
अपने निर्णय में सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने कहा कि पंचायत समिति, घाटोल की साधारण सभा ने ऐसा प्रस्ताव पारित कर दिया जो संसद द्वारा पारित सूचना आरटीआई कानून को अनाधिकृत एवं अवांछित रूप से स्थगित करता है। जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह संवैधानिक एवं वैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करें। मौजूदा प्रकरण में लगता है कि उक्त जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी अपनें दायित्व एवं कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति सजग नहीं है।
आरटीआई की पालना के निर्देश
अपने आदेश में सूचना आयुक्त शर्मा ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए कि वे पंचायती राज विभाग में परिपत्र जारी कर पंचायती राज संस्थाओं में आरटीआई कानून की पालना सुनिश्चित करें।
Published on:
30 Oct 2020 02:03 pm
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