
जयपुर. फाल्गुन मास में रामनाम की भक्ति के गवाह शहरवासी बन रहे हैं। चांदपोल बाजार स्थित रामचंद्र जी मंदिर में संपूर्ण रामदरबार के समक्ष नौ दिवसीय रामचरितमानस के नव पारायण पाठ का मंगलवार को समापन हुआ। महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि राम स्नेही सम्प्रदाय सींथल के संत क्षमाराम की श्रीमुख से बड़ी संख्या में भक्तों ने पाठों का श्रवण कर उनका उच्चारण किया। प्रांगण में 500 से अधिक भक्त सामूहिक रूप से रामायण का पाठ कर रहे हैं। राम जन्मोत्सव, राम-जानकी विवाह, राम जी का राजतिलक, दशहरा आदि के प्रसंग विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहे। गौरतलब है कि 70 वर्षीय संत क्षमाराम बीते 40 साल से देशभर में रामनाम की अलख जगाने के साथ ही रामकथा, श्रीमदभागवत कथा, महाभारत कथा, भगतमाल कथा, गीतापाठ कर चुकेे हैं।
धर्म पर न हो राजनीति
पत्रिका से बातचीत में संत क्षमाराम ने कहा कि रामचरितमानस की लगभग हर एक चौपाई में या तो र मिलेगा या म। तुलसीदास ने रामचरितमानस को विग्रह के रूप में देखा है, यह एक वांगमय विग्रह है। वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता ओर बढ़ गई है। लोग इस पर टिप्पणी न करें। राजनीति भटौरने के लिए जातिवाद न फैलाएं। इसे शुरू से लेकर अंत तक पढ़े, अपने आप मन शुद्ध हो जाएगा। युवाओं को रामचरितमानस से सीख लेने की जरूरत है, हमेशा मातापिता की सेवा करें, बड़ों का सम्मान करें।
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प्रभु राम करें सदैव स्मरण
आमजन के तनाव से मुक्ति के लिए उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में कई बार मन में व्यथा होती उसको भी मिटाने के उपाय रामचरित मानस में है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने पद का अंहकार नहीं करना चाहिए। प्रभु का नाम स्मरण करने से सभी दु:ख दुर हो जाते हैं। जीवन में आध्यात्मिकता जरूरी है इसके बिना जीवन में कुछ भी नहीं है। मनुष्य के जीवन जीने का सार रामायण में है। इसमें परिवार, समाज व राजा के सभी गुणों का वर्णन है इसलिए जीवन में कभी भी कोई कठिनाई हो तो रामायण का अध्ययन कर लेना चाहिए। भगवान के घर में किसी प्रकार का जातपात भेदभाव नहीं है।
Published on:
14 Feb 2023 03:12 pm
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