
स्कूल बैग से नहीं होता बच्चों की पीठ में दर्द!!!
हमारे यहां अब तक यही माना जाता रहा है कि भारी स्कूल बैग्स बच्चों में पीठ दर्द की वजह बन रहे हैं। इसी कारण से बच्चों के बैग का बोझ कम करने की कवायद समय-समय पर सरकार की ओर से की जाती रही है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में हुए एक समीक्षात्मक शोध में खुलासा हुआ है कि बच्चों और किशोरों में पीठ दर्द का बैग से कोई लेना-देना नहीं है।
समय-समय पर अलग-अलग संगठनों की ओर से स्कूल बैग्स को लेकर गाइडलाइंस तय कर दी जाती हैं, जिनके मुताबिक बैग का वजन बच्चों के वजन का पांच से 20 फीसदी तक होना चाहिए। जबकि नए शोध कुछ और ही खुलासा कर रहे हैं। न्यू साउथ वेल्स में सिडनी यूनिवर्सिटी की ताई परमा यामाटो के निर्देशन में हुए शोध में बताया गया है कि उल्टा बैग का वजन तो बच्चों के लिए अच्छा है। यामाटो के मुताबिक, यह एक आम धारणा है कि स्कूल बैग्स बच्चों के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। बहुत सारे पेरेंट्स यहां तक कि हेल्थ प्रोफेशनल्स भी यही मानते हैं कि बैग का वजन बच्चों के लिए नुकसानदेह है और उनमें पीठ की दर्द का कारण बनता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यामाटो और उनकी टीम ने स्कूल बैग और पीठ दर्द से जुड़े 69 शोध की समीक्षा की। इन शोध में 72 हजार से ज्यादा बच्चे शामिल थे। इन 69 शोध में से पांच मेें से स्कूल बैग के इस्तेमाल और फिर बाद में पीठ दर्द की समस्या विकसित होने की जांच की गई थी। एक शोध में यह भी बताया गया था कि जिन बच्चों ने यह कहा था कि उन्हें स्कूल बैग उठाने में समस्या होती है, उन्हें पीठ में दर्द की समस्या होने का गंभीर खतरा रहा था। एक अन्य शोध में यही कहा गया था कि स्कूल बैग के वजन का सीधा संबंध पीठ के दर्द से है। इसके बाद योमाटो की टीम ने इन सभी शोध की समीक्षा की तो उन्हें इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले कि स्कूल बैग के वजन, डिजाइन और उन्हें उठाने के तरीके का पीठ दर्द से कोई संबंध है। इसके बाद 64 अन्य शोध में भी यही पाया गया कि शोध में बच्चों को फोलो ही नहीं किया गया और न ही स्कूल बैग और पीठ में दर्द से जुड़ा कोई पैटर्न मिला। योमाटो के मुताबिक, ज्यादातर शोध में बच्चों को बाद में फोलो नहीं किया गया और सतही आधार पर शोध के नतीजे जारी कर दिए गए। योमाटो का कहना है कि पेरेंट्स बच्चों में पीठ के दर्द को एक चोट की तरह देखते हैं और फिर चोट का कारण ढूंढते हैं। ऐसे में उनके लिए स्कूल बैग पर इलजाम लगाना बहुत आसान होता है, जबकि देखा जाए तो शारीरिक एक्टीविटी और बोझ वास्तव में रीढ़ की हड्डी के लिए अच्छा होता है। इसलिए बच्चों को शारीरिक रूप से क्रियाशील होना चाहिए और वजन भी उठाना चाहिए। योमाटो ने कहा कि लोग आज भी उसी पुरानी बात पर भरोसा करते हैं कि गलत पोस्चर पीठ में दर्द का कारण बनता है। इसलिए बच्चों को एक कंधे पर बैग टांगे देखने पर वे यही सोचते हैं कि इसकी वजह से उन्हें दर्द होगा, जबकि ऐसा नहीं है। हां, अगर किसी बच्चे को पीठ में दर्द है तो अस्थाई रूप से उसके बैग का वजन कम कर दें लेकिन दर्द ठीक होते ही बैग फिर से उसकी पीठ पर आ जाना चाहिए। योमाटो का यह शोध ब्रिटिश जरनल ऑफ स्पोट्र्स मेडिसन में प्रकाशित हुआ है।
Published on:
21 May 2018 02:57 pm
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