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कैंसर मरीजों के लिए आ गई स्पेशल टेक्नोलॉजी, SMS हॉस्पिटल में हुआ डेमो, अब प्रारम्भिक अवस्था में पता लग जाएगी बीमारी

Cancer Treatment In Early Stage: कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता अब प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकेगा। इमेज एन्हांस्ड एंडोस्कोपी तकनीक से इसकी शुरुआती पहचान संभव हो गई है।

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फोटो: पत्रिका

Demo In SMS Hospital: आहार नली, आमाशय और बड़ी आंत में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता अब प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकेगा। इमेज एन्हांस्ड एंडोस्कोपी तकनीक से इसकी शुरुआती पहचान संभव हो गई है। जिससे मरीजों का समय पर इलाज शुरू किया जा सकेगा।

इसी विषय पर रविवार को SMS सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की ओर से कार्यशाला आयोजित की गई। विभागाध्यक्ष डॉ. रूपेश पोकरणा के निर्देशन में हुई कार्यशाला में दिल्ली से आए विशेषज्ञ डॉ. श्रीहरि अनिखंडी ने पांच मरीजों पर नई तकनीक का लाइव ट्रायल कर दिखाया।

कार्यशाला के सचिव और प्रोफेसर डॉ. सुधीर महर्षि ने बताया कि इस आधुनिक तकनीक की मदद से आहार नली, आमाशय और बड़ी आंत में कैंसर की शुरुआती अवस्था में ही पहचान और इलाज एंडोस्कोपी से संभव है जिससे मरीज को बड़ी सर्जरी से राहत मिलेगी।

कार्यशाला में डॉ. एसएस शर्मा, डॉ. दिनेश अग्रवाल, डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. पियुष शर्मा, डॉ. कमलेश शर्मा, डॉ. विद्याधर और डॉ. विजयंत आदि ने कहा कि यह तकनीक गैस्ट्रो क्षेत्र में नए युग की शुरुआत साबित होगी।

ट्रांसप्लांट के फेल होने का घटेगा जोखिम

अब हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट के मरीजों में संक्रमण की शुरुआती स्तर पर ही पहचान संभव हो गई है। जिससे संक्रमण को फैलने से पहले ही रोका जा सकता है। साथ ही ट्रांसप्लांट फेल होने का जोखिम काफी घटता है। यह नए मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक किट से संभव हुआ है। इससे जीवाणु या वायरस की मौजूदगी की पहचान हो जाती है।

यह बात अमरीका से आई हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कैमिली कॉटन ने रविवार को आरआईसी में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इंडियन सोसायटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन में आयोजित सत्र में कही। चेयरमैन डॉ. अजीत बाना ने बताया कि डॉ. अंकित मित्तल ने ट्रांसप्लांट रेसिपिएंट, डॉ. रविकांत पोरवाल ने ट्रांसप्लांट के मरीजों में टीबी का इलाज, डॉ. सुलेखा सक्सेना ने एक्मो तकनीक पर शोध प्रस्तुत किया।

आयोजन सचिव डॉ. राजकुमार यादव ने बताया इस कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर से विशेषज्ञ शामिल हुए। डॉ. गोपाल कृष्ण गोखल ने आधुनिक तकनीक एलवेड (लेफ्ट वेंट्रिक्यूलर असिस्ट डिवाइस) के बारे में जानकारी दी।