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शंभूनाथ ने वायरल किया वीडियो, जेल प्रशासन की बीस करोड़ रुपए की पोल खोल दी

शंभूनाथ के एक वीडियो ने राजस्थान जेल प्रशासन की बीस करोड़ रुपए की पोल खोलकर रख दी है।

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Shambhu Lal Regar

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जयपुर। राजसमंद में अफराजुल नाम के एक व्यक्ति को जिंदा जलाने और उसकी हत्या करने का वीडियो बनाकर सुर्खियों में आए आरोपी शंभूनाथ के एक वीडियो ने राजस्थान जेल प्रशासन की बीस करोड़ रुपए की पोल खोलकर रख दी है। दरअसल, शंभूनाथ का यह वीडियो जोधपुर जेल से वायरल होने की बात कही जा रही है। उसमें जेल की सलाखें भी साफ नजर आ रही हैं। एेसे में जेल प्रशासन और यहां लगे जैमर्स पर सवाल खड़े हो गए हैं।

दरअसल, जेल प्रशासन ने प्रदेश की सेंट्रल जेलों में जो जैमर लगाए हैं उन पर अब तक करीब बीस करोड़ रुपए खर्च हो चुका है, लेकिन फिर भी न तो सोशल मीडिया पर बैन लग पा रहा है और न ही मोबाइल फोन का उपयोग कम हो रहा है। यह हालत तो जोधपुर जेल की है, जोधपुर जेल दिल्ली की तिहाड़ जेल के बाद देश की दूसरी सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है। अब जोधपुर सेंट्रल जेल में सर्च ऑपरेशन सवेरे शुरू किया गया है।

नौ सेंट्रल जेलों में लगे हैं 40 जैमर
जयपुर , जोधपुर, कोटा समेत प्रदेश में वर्तमान में नौ सेंट्रल जेले हैं। इनमें करीब दस हजार बदमाश बंद हैं। इन जेलों में सुरक्षा के सबसे ज्यादा इंतजाम होने के बाद भी हालात खराब हैं। प्रदेश की इन जेलों में चालीस से भी ज्यादा मोबाइल फोन जैमर लगे हैं। लेकिन वर्तमान में थ्री जी से फोर जी का अपडेशन काम चल रहा है। जोधपुर को छोडक़र अन्य जेलों का काम जारी है, क्योंकि जोधपुर जेल प्रशासन ने अभी जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं की है।

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पहले भी बदमाशों ने बटोरीं सुर्खियां
शंभूनाथ के इस वीडियो से पहले से जेल में बंद और भी खूंखार बदमाशों ने जेल सुरक्षा की पोल खोली है। आनंदपाल सिंह ने जेल से अपने फेसबुक अपडेट करने के साथ ही मोबाइल फोन का भी जमकर उपयोग किया था। वहीं गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई भी जेल से गैंग ऑपरेट कर और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर जेल प्रशासन की सिरदर्दी बढ़ा चुका है।

जेलों में मिल चुके हैं सैकड़ों फोन
प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन, सिम और अन्य आपत्तिजनक सामग्री मिलने के मामले में साल 2013 से साल 2017 तक करीब छह सौ मामले सामने आए हैं। इनमें सैकड़ों की संख्या में मोबाइल फोन और सिम तो बरामद हुए हैं। फोन मिलने पर बंदियों पर कार्रवाई करने का नियम बेहद कमजोर है। बंदी के पास आपत्तिजनक सामग्री मिलने पर उसे सजा के तौर पर अपने परिजनों से एक या दो मुलाकात से दूर रखा जाता है।


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