Sharad Purnima 2023: वर्ष 2023 का आखिरी ग्रहण शनिवार को शरद पूर्णिमा पर खंडग्रास चंद्रग्रहण के रूप में मध्यरात्रि बाद रहेगा। देश में ग्रहण नजर आने से इस बार चंद्रमा की रोशनी में रखी जाने वाली औषधीय खीर नहीं रखी जाएगी। ज्योतिषविदों के मुताबिक शाम चार बजे से सूतककाल मान्य रहेगा। रात में इस पर्व से जुड़ी पूजा-पाठ नहीं हो सकेंगे, न ही खीर बनेगी। औपचारिकता के दौर पर शहर के विभिन्न मंदिरों में सुबह ही शरदोत्सव के तहत भगवान के समक्ष खीर का भोग लगाकर सूतक लगने से पहले वितरण होगा। पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज सहित अन्य मंदिरों में देर रात को हवन होगा। पर्व में खीर बनाने की परंपरा इस दिन विशेष है, इससे लोग काफी चिंतित हैं।
शहर आराध्य गोविंददेव जी मंदिर में शाम को 7 से 7.15 बजे विशेष झांकी के दर्शन होंगे। चौसर खेलते हुए ठाकुर जी नजर आएंगे। ठाकुर जी दर्शन देंगे। शनिवार रात मध्य रात्रि बाद 1 से 2.30 बजे तक ठाकुर जी के पट खुले रहेंगे। इस दौरान मंदिर में हरिनाम संकीर्तन होगा। लेकिन श्रद्धालुओं को ग्रहण शुरू होने से पूर्व ही मंदिर में प्रवेश करना होगा। खीर का वितरण नहीं होगा। इस्कॉन मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर भी खुलेगा। साथ ही आरती होगी।
ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक रात 1.05 बजे से आंशिक चंद्र ग्रहण की शुरुआत होगी। रात 1.44 बजे ग्रहण का मध्य रहेगा और 2.23 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा। ग्रहण का समय करीब 1 घंटा 19 मिनट रहेगा। सूतक ग्रहण शुरू होने से ठीक नौ घंटे पहले शुरू होने के साथ ही ग्रहण खत्म होने तक रहेगा। पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं होंगे। बालक, वृद्ध व रोगियों को छोडक़र अन्य लोगों को भोजन नहीं करना चाहिए। इस अवधि में देवी देवताओं के मंत्रों का जप और दान-पुण्य करें। वर्ष 1986 के बाद यानि 33 साल बाद इस बार शरद पूर्णिमा पर बनने वाले इस संयोग से श्रद्धालु चंद्रमा की धवल रोशनी में अमृतरूपी खीर नहीं रख पाएंगे। सात साल बाद शरद पूर्णिमा शनिवार को रहेगा।
शर्मा के मुताबिक यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में घटित हो रहा है, इन नक्षत्र में जन्मे लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। ग्रहण के समय चंद्र, राहु और अपनी राशि के स्वामी मंगल का जाप करना चाहिए। मिथुन, कर्क, वृश्चिक, कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ फलदायी यह ग्रहण रहेगा। वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर और मीन राशि के जातकों को मध्यम फल मिलेंगे। ज्योतिषाचार्य आचार्य हिमानी शास्त्री के मुताबिक शरद पूर्णिमा को महारास की रात भी कहते हैं। किवंदति है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इस रात में गोपियों के साथ महारास किया था। ऐसा भी माना जाता है कि इस पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी घूमने आती। इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
चंद्रमा की रोशनी 13 प्रतिशत कम दिखाई देगी। वहीं शाम 4:०5 बजे से सूतक लग जाएगा। ग्रहण जयपुर सहित समूचे भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और पूरे एशिया में दिखाई देगा।ग्रहण पूरा होने के बाद रात 2:33 बजे पूजा अर्चना व स्नान के बाद खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जा सकती है। ज्योर्तिविद पं. घनश्याम लाल स्वर्णकार के मुताबिक जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्र ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में आ जाते हैं और चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। समय-समय पर राहु सूर्य और चंद्र को ग्रसता है, इस वजह से ग्रहण होते हैं। चंद्र अपनी सभी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। चंद्र अन्य पूर्णिमा तिथियों की अपेक्षा इस पूर्णिमा पर कुछ ज्यादा बड़ा दिखेगा। शीत ऋतु का असर भी बढ़ेगा। चीन, इरान, इराक, सिंध और मध्य एशिया के देशों में कष्ट, प्राकृतिक प्रकोप होने के आसार रहेंगे। साथ ही धातु पदार्थों में तेजी रहेगी। ग्रहण के समय घी—तेल से बना अन्न सहित अन्य खादय सामग्री का सेवन नहीं करना चाहिए।