स्वर्ग सा अहसास कराता मंदिर ऐतिहासिक इस मंदिर के पीछे कई कहानियां रचित हैं। यहां का दृश्य प्रत्यके माह सावन सा अहसास कराता है। सावन के महीने में तो यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। हरयाली से घिरे मंदिर का खूबसूरत नजारा हर किसी के मन को मोह लेता है। हरियाली की चादर में लिपटी पहाडियों के सौंदर्य को देखकर शांति मिलती है। मंदिर में धोक लगाने से हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है। इसके चलते हजारों की संख्यां में श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए रोज पहुंचते हैं।
ऐतिहासिक मंदिर की अद्भुत कहानी नई नाथ प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण काल 350 साल पुराना बताया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में बिराजमान शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हैं। मंदिर के नामकरण के बारे में लोगों का मानना है कि सैंकड़ों साल पहले बांसखो में एक राजा के तीन रानियां थी। तीनों में से किसी के भी संतान नहीं होने से मंदिर में रहने वाले बालवनाथ ने उनको शिव भक्ति की सलाह दी। इसके बाद सबसे छोटी रानी ने हर चतुदर्शी को घने जंगलों से होकर शिव की आराधना करने इसी मंदिर में जाती। इसके चलते रानी को संतान का सुख प्राप्त हुआ। कुछ समय पूर्व ही रानी का विवाह हुआ था। इसके बाद से नई पर नाथ की ओर कृपा हो गई। इसके बाद से नई नाथ के नाम से ये मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया। मंदिर में अमावस्या से पूर्व चतुदर्शी को लक्खी मेले का आयोजन होता है।