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मासूम अर्जुन की जान खतरे में : शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की एक अपील बचा सकती है जिंदगी, महिला कर्मचारी ने लगाई गुहार, बोली : मेरे बेटे को बचा लीजिए

एसएमए पीड़ित बच्चे अर्जुन जांगिड़ की जान खतरे में है।

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जयपुर। एसएमए से पीड़ित एक बच्चे की जिंदगी अब धीरे धीरे कम होती जा रही है। बच्चा 22 महीने का हो चुका है। दो साल का होने में दो महीने का समय बचा है। 5 मई 2024 को यह बच्चा दो साल का हो जाएगा। इसके बाद बच्चे के जीने की उम्मीद ना के बराबर होगी। यह बच्चा अर्जुन जांगिड़ स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी से पीड़ित है। अर्जुन की मां पूनम जांगिड़ सरकारी स्कूल में कार्यरत है। वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, द्वारिकापुरी, शास्त्रीनगर में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है। उसे उम्मीद है कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की एक अपील उसके बच्चे की जान बचा सकती है। क्योंकि उनके बच्चे की जान जिस इंजेक्शन से बचाई जा सकती है। उसकी कीमत करीब साढ़े सत्रह करोड़ रुपए है। लेकिन इस इंजेक्शन को तब तक लगाया जा सकता है, जब तक बच्चे की उम्र दो साल तक हो। इसके बाद इस इंजेक्शन का कोई महत्व नहीं रहता है।

मासूम अर्जुन की मां पूनम जागिड़ का कहना है कि हालिया एसएमए पीड़ित ह्दयांश का मामला सामने आया। जिसके बाद पुलिस विभाग की ओर से मदद को लेकर कदम उठाए गए। यही बीमारी उनके बच्चे अर्जुन के है। पूनम ने गुहार लगाई है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अगर उनके बच्चे की जान बचाना चाहे तो बचा सकते है। वह स्वयं शिक्षा महकमे में कार्यरत है। प्रदेश में करीब चार लाख से ज्यादा कार्मिक शिक्षा विभाग में कार्यरत है। ऐसे में अगर मंत्री अपील करे तो सभी कार्मिक अपने वेतन से सहयोग राशि का दान कर सकते है। अगर हर कार्मिक अपने वेतन से साढ़े चार सौ रुपए भी कटौती करे तो भी करीब 18 करोड़ रुपए एकत्रित हो सकते है। पूनम ने कहा कि शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो अर्जुन के लिए आगे नहीं आएगा।

अभी उनके पास करीब चार करोड़ रुपए एकत्रित हो चुके है। कई जगह से उन्हें मदद मिली भी है। लेकिन अभी भी करीब 13 करोड़ रुपए कम पड़ रहे है। जिसके अभाव में अर्जुन का इलाज नहीं हो पा रहा है। परिजनों ने बताया कि अगर राशि की व्यवस्था समय पर हो गई तो यह इंजेक्शन नीदरलैंड से आएगा। इसके बाद जेके लोन अस्पताल की टीम अर्जुन को यह इंजेक्शन लगाएगी।

बच्चे अर्जुन के पिता पंकज जांगिड़ का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनके साथ ऐसा होगा। अर्जुन जब चार पांच महीने का था तब से उसमें यह प्रॉब्लम शुरू हुई। जो धीरे धीरे बढ़ती चली गई। अब सिर्फ अर्जुन के पास करीब दो महीने का समय बचा है। ऐसे में घर के हालात भी बिगड़ चुके है। हर समय दादा—दादी व खुद माता—पिता रोते रहते है। समझ ही नही आता है कि अब करे तो क्या करें। कैसे अर्जुन को बचाया जा सकता है।

इस बीमारी के एक्सपर्ट डॉ प्रियांशु माथुर का कहना है कि अर्जुन जांगिड़ स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रोफी से पीड़ित है। यह एक जानलेवा दुर्लभ रोग है, जो स्‍पाइनल कॉर्ड के मोटर न्‍यूरॉन्‍स पर असर डालता है। इससे मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे चलना-फिरना बंद हो जाता है। एसएमए में मोटर न्‍यूरॉन्‍स धीरे-धीरे खत्‍म होते जाते हैं, जिससे मरीजों की चलने-फिरने की क्षमता और शरीर के जरूरी काम प्रभावित होते हैं। इनमें हिलने-डुलने, सांस लेने, निगलने, आदि में कठिनाई शामिल है। सही समय पर पता न चलने के कारण कई पीड़ित बच्चे तो अपने दूसरे जन्‍मदिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं। मरीजों को होने वाली विभिन्‍न चुनौतियों के साथ-साथ उनके परिजन और देखभाल करने वाले लोग भी कई संघर्षों तथा कठिनाइयों का अनुभव करते हैं।