
दिल्ली हिंसा में सीकर ने खोया लाल
जयपुर। दिल्ली में सीएए को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के दौरान पथराव में सीकर फतेहपुर के तिहावली के निवासी और दिल्ली पुलिस में हैड कांस्टेबल 42 वर्षीय रतनलाल की मौत हो गई। शहीद हुए रतनलाल की शहादत को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने उनको श्रृद्धांजलि देना शुरू कर दिया है। इस बीच उनकी फोटो को पाकिस्तान में गदर मचाकर लौटे विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो के साथ अटैच भी किया जा रहा है। दरअसल दोनो की शेव रखने की स्टाइल एक ही है, इस कारण दोनो की फोटोज को साथ मिलाकर उस पर कमेंट किए जा रहे हैं।
एक देश का अभिनंदन और दूसरा देश का रतन
दरअसल सीकर के लाल हैड कांस्टेबल रतन लाल काफी समय से दिल्ली में रह रहे थे। तीन बच्चों और पत्नी के साथ रह रहे रतनलाल होली पर सीकर आने वाले थे। दो दिन पहले ही उन्होनें अपनी मां से बात की थी। उनकी शहादत के बाद उनकी फोटो को विंग कमांडर अभिनंदन की फोटो के साथ जोड़कर प्रसारित किया जा रहा है। कमेंट किए गए हैं कि देश के अभिनंदन विंग कमांडर को अभिनंदन को पाकिस्तान से भी जिंदा बचा लिया गया लेकिन दिल्ली और राजस्थान के रतन, हैड कांस्टेबल रतन लाल को देश के दिल और देश की राजधानी दिल्ली में भी जिंदा नहीं बचाया जा सका। इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर उनकी फोटोज वायरल हो रही हैं और देश भक्ति से जुड़े कमेंट्स लगातार किए जा रहे हैं। उनकी शहादत को सोशल मीडिया पर सलाम किया जा रहा है।
फीवर था, फिर भी ड्यूटी कर रहे थे रतनलाल
रतनलाल एक एसीपी के रीडर थे और उनको सोमवार को बुखार था। लेकिन बुखार के बाद भी वे ड्यूटी पर थे। सोमवार सुबह 11:30 बजे पुलिस फोर्स दिल्ली के गोकुलपुरी में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए खड़ी थी। पुलिस ने बेरीकेट्स लगा दिए थे। प्रदर्शनकारी हाथाें में पत्थर लिए दाैड़े और हमला बाेल दिया। देखते ही देखते काफी लाेग वहां जुट गए और धीरे-धीरे पुलिस की तरफ बढ़ने लगे।उसके बाद हंगामा मच गया, पथराव और मारपीट होने लगी। एक पत्थर रतनलाल के सिर में आकर लगा और वे अचेत हो गए। उनको तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के दौरान उन्होनें दम तोड़ दिया। हैड कांस्टेबल रतनलाल वर्तमान में एसीपी गोकलपुरी के कार्यालय में तैनात थे। पत्थरबाजी में एसीपी अनुज भी घायल हो गए। रतनलाल 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे।
पत्नी ने हिंसा की खबर लेने के लिए टीवी चलाया, बेहोश हो गई
दिल्ली में हुई हिंसा के बारे में परिवार को जानकारी थी। जब रतनलाल की पत्नी ने टीवी चालू किया ताे न्यूज में पता चला कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे। न्यूज सुनते ही वो बेहोश हो गई। हैडकांस्टेबल रतनलाल अपनी पत्नी पूनम, 12 वर्षीय बेटी रिद्धि, 10 वर्षीय बेटी कनक व 7 साल के बेटे राम के साथ दिल्ली में बुराड़ी के अमृत विहार में रहते थे। गांव में रतनलाल की मां संतरा देवी (70) व छोटा भाई दिनेश परिवार के साथ रहते हैं। भाई मंडावा में गाड़ी चलाता है और गांव में खेती करते है। उनका एक भाई रमाकांत बैंगलोर में काम करता है। उनके पिता बृजमोहन की ढ़ाई साल पहले ही मौत हुई थी। रतन ने दो दिन पहले ही मां संतरा व भाई दिनेश से फोन पर बात की थी। उसने मां से कुशलक्षेम पूछी थी। रतन ने इस बार होली पर गांव आने का वादा किया था, लेकिन बेबस मां को क्या पता था कि उसकी बेटे से आखिरी बार बात हो रही है।
Updated on:
25 Feb 2020 11:06 am
Published on:
25 Feb 2020 10:55 am
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