30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मूक प्राणियों पर खर्च करता है पूरी पेंशन

दिव्यांग का अनूठा प्रेम फैक्ट्री का काम छूटने के बाद पावर हाउस पर चाय की दुकान लगा ली

2 min read
Google source verification
मूक प्राणियों पर खर्च करता है पूरी पेंशन

मूक प्राणियों पर खर्च करता है पूरी पेंशन

पाली. सेवा के लिए गरीबी-अमीरी मायने नहीं रखती। मायने रखता है तो सिर्फ और सिर्फ जीव और मानवता के प्रति दया भाव। शहर में एेसा ही एक जीव-जंतु प्रेमी है जो अपनी दिव्यांगता की पूरी पेंशन मूक प्राणियों पर खर्च कर देता है।
मंडिया रोड पावर हाउस चौराहा पर एक छोटी-सी चाय की दुकान चलाते हैं गोविंद मेवाड़ा। करीब ९ साल पूर्व औद्योगिक इकाई में काम करते वक्त एक हाथ मशीन में आ गया। तब से वह एक हाथ से दिव्यांग है। फैक्ट्री का काम छूटने के बाद पावर हाउस पर चाय की दुकान लगा ली। चाय बेचकर गुजारा करते हैं। घर में मां के साथ रहते हैं।

पेंशन छह हजार, श्वानों पर करते हैं खर्च

हाथ कटने के कारण मेवाड़ा को छह हजार रुपए बतौर पेंशन मिलते हैं। यह राशि वह श्वानों के बिस्किट खिलाने में खर्च कर देते हैं। सुबह और शाम नियमित रूप से वह साइकिल पर निकलते हैं। जहां कहीं श्वान दिखाई दिया, उसे बिस्किट खिलाते हैं। पिछले छह माह से मेवाड़ा की यही दिनचर्या रहती है। अब श्वान भी उनके आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। मेवाड़ा ने अपनी दुकान के बाहर गायों को पानी पिलाने के लिए अवाळा भी बना रखा है। इसमें खुद की जेब से टैंकरों से पानी मंगवाते हैं। दुकान पर भी पानी के कैंपर लगा रखे हैं ताकि कोई भी राहगीर अपनी प्यास बुझा सके।

लॉकडाउन में श्वानों को जीव प्रेमियों का इंतजार

लॉकडाउन में औद्योगिक इकाइयां बंद है। श्रमिकों के पलायन से औद्योगिक इकाइयों के बाहर बड़ी संख्या में विचरण करने वाले श्वान अब भूखे रहने लगे हैं। अभी भी बड़ी संख्या में श्वान भूख से बिलख रहे हैं। मूक प्राणियों को अब भी जीव प्रेमियों का इंतजार है।

ये गायों को खिला रहे चारा

शहर में बेसहारा गायों की भूख मिटाने का जिम्मा भंडारी परिवार ने उठाया हैं। प्रतिदिन तीन हजार किलो चारा गायों को खिलाया जा रहा है। भंडारी परिवार के सुनिल भंडारी का कहना है कि शहर की बेसहारा गाय भूखी नहीं रहे इसके लिए चारा उपलब्ध करा रहे हैं। शहर में कोई भी गाय भूखी नहीं रहे इसका प्रयास किया जा रहा है। आपदा के दौरान मूक प्राणियों की फिक्र करना भी हमारा दायित्व है।