बाजार से इकट्ठा कर रहे चंदा छात्रसंघ चुनाव के नाम पर लगभग सभी प्रत्याशी बड़े नेताओं, व्यापारियों, क्षेत्र के लोगों से चंदा भी इकट्ठा कर रहे हैं। चंदे के नाम पर लाखों रुपए, चौपहिया वाहन लिए जा रहे हैं। कुछ प्रत्याशियों को चंदा देने के बाद लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर रहे हैं। जिसे छात्रनेता शेयर कर रहे हैं।
लोकसभा-विधानसभा जैसा ट्रेंड
इस बार छात्रसंघ चुनाव का ट्रेंड लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसा नजर आ रहा है। छात्रसंघ चुनाव विश्वविद्यालय कैम्पस से बाहर निकलकर पूरे शहर में प्रचार किया जा रहा है। छात्रसंघ चुनाव के प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव की तरह प्राइम लोकेशन पर चुनाव कार्यालय खोले हैं। चाहे नामांकन रैली हो या प्रचार का तरीका, किसी भी मामले में प्रत्याशी लोकसभा-विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों से पीछे नहीं है।
इस बार छात्रसंघ चुनाव का ट्रेंड लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसा नजर आ रहा है। छात्रसंघ चुनाव विश्वविद्यालय कैम्पस से बाहर निकलकर पूरे शहर में प्रचार किया जा रहा है। छात्रसंघ चुनाव के प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव की तरह प्राइम लोकेशन पर चुनाव कार्यालय खोले हैं। चाहे नामांकन रैली हो या प्रचार का तरीका, किसी भी मामले में प्रत्याशी लोकसभा-विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों से पीछे नहीं है।
जहां विधानसभा प्रत्याशी ने बनाया कार्यालय, वही खुला छात्रसंघ चुनाव के प्रत्याशी का कार्यालय
इस बार दोनों प्रमुख छात्र संगठनों एबीवीपी और एनएसयूआई ने प्राइम लोकेशन पर चुनाव कार्यालय खोले हैं। एबीवीपी का चुनाव कार्यालय उस जगह खोला गया है, जहां विधानसभा चुनाव में विधायक कालीचरण सराफ का कार्यालय था। उसी रोड पर करीब एक किलोमीटर आगे ही एनएसयूआई का कार्यालय है।
निगरानी करने वाला कोई नहीं छात्रसंघ चुनाव में खर्च तो लोकसभा और विधानसभा जैसा हो रहा है। विधानसभा-लोकसभा चुनाव में निगरानी के लिए राज्य स्तर पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं। लेकिन, छात्रसंघ चुनाव में इस तरह की निगरानी का कोई इंतजाम ही नहीं है। विश्वविद्यालय की ओर से नियुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी, डीएसडब्ल्यू केवल कैम्पस के भीतर ही चुनावी गतिविधियों पर नजर रखते हैं। कैम्पस के बाहर कहां पोस्टर चिपका है, कहां कार्यालय खोला गया है, इससे उन्हें सरोकार नहीं है।
यूं समझे खर्च का गणित
– एक प्रत्याशी के समर्थक और टीम – 200 व्यक्ति औसतन
– चाय – 10,000
– नाश्ता – 20,000
– खाना – 70,000
– वाहन खर्च – 5,000 (पांच गाड़ी औसतन)
– पेड कार्यकर्ता – 25,000 (50 कार्यकर्ता)
– पम्पलेट-बैनर-पोस्टर – 1,000
– फिल्म दिखाना – 50,000 (एकमुश्त खर्च)
– वाटर पार्क घूमाना – 25,000 (एकमुश्त खर्च)
– सोशल मीडिया खर्च – 5,000
– चुनाव कार्यालय – 1,00,000
– टैंट व अन्य सामान – 20,000
– फूल-माला-स्वागत – 5,000
(नामांकन से मतदान के दिन तक का रोजाना का खर्च)
कुल खर्च – करीब 3.50 लाख रुपए प्रतिदिन
कुल खर्च – करीब 3.50 लाख रुपए प्रतिदिन