
जयपुर। श्रीगंगानगर के शिवपुर फतोही के कृषक परिवार की अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी आरती ने न सिर्फ अपने गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि यदि मन में कुछ करने की ख्वाहिश हो, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। आरती कहती हैं कि गांव में शहर की तुलना में अलग ही माहौल होता है। वहां खेल को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती, जितनी शहर में। बचपन में जब मैं गांव में लड़कों को खेलते देखती तो मन में आता कि मैं भी खेलूं। लेकिन मन में संकोच था। एक दिन मैंने हिम्मत जुटा पापा से कहा, उन्होंने मुझे आगे बढ़ाया।
मम्मी के बाद पापा ने संभाला
बकौल, आरती मम्मी का 2013 में निधन हो गया। उनके जाने के बाद मेरे दादा और पापा ने मुझे संभाला। 2016 में मैं पहली बार जयपुर आई और सवाई मानसिंह स्टेडियम स्थित हैंडबॉल एकेडमी में दाखिला लिया। उसके बाद मेरी कोच मनीषा मैडम और प्रियदीप सर ने हमें घर जैसे संभाला। 2020 में पापा का निधन हो गया। आज मैं उनका सपना पूरा कर रही हूं। इंडियन टीम में भी खेलने का मौका मिला है।
बांग्लादेश में गोल्ड जीतना यादगार क्षण
आरती ने बताया,‘मैंने सबसे पहले कजाकिस्तान में हुए यूथ एशियन कप में भाग लिया। उसके बाद नॉर्थ मैसाडोनिया में आयोजित यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया और अभी हाल ही बांग्लादेश में आयोजित जूनियर आईएचएफ टूर्नामेंट में टीम इंडिया की ओर से खेली और स्वर्ण पदक जीता। इस टूर्नामेंट में हमारी टीम ने सभी टीमों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। खिताबी मैच में भी हम विपक्षी पर टीम पर भारी पड़े और भारत ने स्वर्ण पदक जीता।’
आरती प्रतिभावान खिलाड़ी
आरती की कोच मनीषा सिंह ने बताया कि जब आरती पहली बार एसएमएस आई थी तब ही मुझे लगा था कि यह लड़की दृढ़ निश्चयी है। मेहनत और लगन ही आरती की सफलता का राज है और मुझे पूरा भरोसा है कि भविष्य में भी यह भारत का नाम रोशन करेगी। वहीं वरिष्ठ कोच प्रियदीप खंगारोत के अनुसार आरती अब तक तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुकी है। आज भी उसका अभ्यास नए खिलाड़ी की तरह ही है।
Published on:
28 Jan 2024 03:43 pm
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