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तेज आवाज में बोलना दुर्व्यवहार नहीं, सरकार बोली सौम्या के पति भ्रष्टाचार में पकड़े

निलंबित मेयर सौम्या सुप्रीम कोर्ट के द्वार: सरकार व निगम को नोटिस, सुनवाई 24 अगस्त को सौम्या की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने की पैरवी

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Mayor Soumya Gurjar

Mayor Soumya Gurjar

जयपुर। भाजपा नेता सौम्या गुर्जर के जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर पद से निलंबन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। तेज आवाज में बोलने को दुर्व्यवहार मानकर निलंबित करने का आरोप सुनकर कोर्ट नरम दिखा, तो सरकारी वकील ने सौम्या के पति को भ्रष्टाचार में पकड़ने की जानकारी दी। कोर्ट ने राज्य सरकार, स्थानीय निकाय विभाग के विशिष्ट सचिव व उपनिदेशक, नगर निगम आयुक्त व कार्यवाहक महापौर शील धाभाई को नोटिस जारी कर सुनवाई 24 अगस्त तक टाल दी।
न्यायाधीश संजय किशन कौल व हेमंत गुप्ता की खण्डपीठ ने सौम्या गुर्जर की एसएलपी (अपील) पर शुक्रवार को सुनवाई की। अपील में सौम्या की याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के 28 जून के आदेश को चुनौती दी है। एडवोकेट रुचि कोहली के जरिए दायर अपील पर पूर्व अटॉर्नी जनरल व सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सौम्या की ओर से पैरवी की। उन्होंने कहा कि नगर निगम आयुक्त की एफआईआर के अनुसार सौम्या पर तेज आवाज में बोलने का आरोप है, जो दुर्व्यवहार नहीं है। इस आरोप में महापौर को निलंबित नहीं किया जा सकता। इस तरह निलंबन होने से काम करना मुश्किल होगा। अपील में दुर्व्यवहार पर निलंबन के राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के प्रावधान की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि निलंबन राजनीतिक द्वेष से नहीं किया, क्योंकि राज्य सरकार ने भाजपा की ओबीसी महिला पार्षद को कार्यवाहक महापौर बनाया है। उन्होंने सौम्या के पति के भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े जाने की जानकारी भी दी। सौम्या की ओर से अंतरिम राहत देने का आग्रह किया, लेकिन कोर्ट ने केवल नोटिस जारी कर सुनवाई 24 अगस्त तक टाल दी।