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खनन क्षेत्र में देश—दुनिया की तकनीक का होगा उपयोग, रिसर्च भी होंगे अपडेट

राज्य के माइनिंग और जियोलोजी विंग के अधिकारियों का प्रतिमाह एक वर्चुअल सेशन आयोजित किया जाएगा

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खनन क्षेत्र में देश—दुनिया की तकनीक का होगा उपयोग, रिसर्च भी होंगे अपडेट

खनन क्षेत्र में देश—दुनिया की तकनीक का होगा उपयोग, रिसर्च भी होंगे अपडेट

राज्य के माइनिंग और जियोलोजी विंग के अधिकारियों का प्रतिमाह एक वर्चुअल सेशन आयोजित किया जाएगा, जिसके माध्यम से खनिज क्षेत्र में राजस्थान सहित देश-दुनिया में हो रहे एक्सप्लोरेशन, माइनिंग तकनीक, डिपोजिट्स और उनकी मांग आदि के संबंध में विस्तार से संवाद होगा, ताकि देश दुनिया की तकनीक व एक दूसरे के अनुभवों को साझा कर उसका उपयोग किया जा सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इससे अधिकारियों का ओरियंटेशन होने के साथ ही एक दूसरे के अनुभव व जानकारी को साझा किया जा सकेगा, जिसका सीधा—सीधा लाभ प्रदेश के माइनिंग सेक्टर को मिल सकेगा। इससे इस क्षेत्र में हो रही, रिसर्च से अपडेट होने का अवसर मिल सकेगा।

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खनिज खनन की इकोनोमिक्स पर चर्चा

ग्रवाल ने बताया कि प्रतिमाह तकनीकी सेशन आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में खोजे जा रहे या उपलब्ध खनिज की गुणवत्ता, देश व विदेश के अन्य स्थानों पर उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता की तुलना में प्रदेश का खनिज, डिपोजिट्स, खनिज का उपयोग, बाजार में मांग, खनिज खनन की इकोनोमिक्स आदि पर विस्तार से चर्चा हो सकेगी और इससे माइनिंग व जियोलोजी विंग के बीच बेहतर तालमेल व सामंजस्य भी हो सकेगा। पिछले दिनों में प्रदेश में बहुमूल्य खनिज के भण्डार मिले हैं पर इस तरह के अध्ययन व साझा संवाद से इकोनोमिकल वाइबिलिटी भी तय हो सकेगी।

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खनिज विशेष को लेकर आपसी अनुभव होंगे साझा

निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि प्रतिमाह आयोजित तकनीकी सेशन में किसी विषय विशेष या प्रदेश में उपलब्ध खनिज विशेष को लेकर आपसी अनुभव साझा हो सकेंगे और तकनीक में आ रहे बदलाव को समझने और आत्मसात करने का अवसर मिल सकेगा। राज्य सरकार की इस पहल से अधिकारियों के ओरियंटेशन की व्यवस्था भी तय हो सकेगी और परस्पर समन्वय व सहयोग का माहौल बनेगा। इसका सीधा सीधा लाभ प्रदेश के माइनिंग सेक्टर को मिल सकेगा।