
जयपुर। प्रदेश में इस माह होने वाले उपचुनावों ने भाजपा की गुटबाजी को फिर सामने ला दिया है। अलवर में तो विधायकों और भाजपा प्रत्याशी के बीच इतना विवाद है कि एकसाथ बैठाना ही पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है। अजमेर में अलवर के मुकाबले विवाद कम है लेकिन जाट नेताओं को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती बन गया है। कांग्रेस को समर्थन की राजपूत समाज की घोषणा ने भी भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है क्योंकि राजपूत समाज भाजपा का परम्परागत वोट माना जाता है।
कहां क्या विवाद
- अलवर : भाजपा प्रत्याशी जसवंत यादव वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री हैं। विधायक बनवारीलाल सिंघल, रामहेत यादव, धर्मपाल चौधरी, पूर्व विधायक रोहिताश्व शर्मा समेत पूरे संगठन को एकसाथ बैठाना मुश्किल हो रहा है। साथ बैठ रहे हैं तो भी पार्टी में अपेक्षित सक्रियता नजर नहीं आ रही। ऐसे में अलवर में भाजपा के सभी कार्यकर्ता अभी तक चुनावी मोड में नहीं आ पाए हैं।
- अजमेर : यहां से सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा भाजपा प्रत्याशी हैं। वह अपने ही लोगों को लेकर मुश्किल में हैं क्योंकि डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी उनके नामांकन वाले दिन नजर नहीं आए। रामचन्द्र खुद भी टिकट मांग रहे थे। इस लोकसभा क्षेत्र में राजपूत समाज के वोट भी निर्णायक रहेंगे।
- मांडलगढ़ : भाजपा ने यहां से जिला प्रमुख शक्तिसिंह हाड़ा को उतारा है लेकिन जातिगत समीकरण उनके पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। हाड़ा के सामने उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप जिला प्रमुख बद्रीप्रसाद गुरुजी सबसे बड़ी चुनौती हैं। बद्रीप्रसाद को साथ लेकर ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए भाजपा को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
Published on:
15 Jan 2018 08:33 pm
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