
Panna Tiger Reserve : पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में शिकार की आशंका
जयपुर
प्रदेश के बारां जिले की शाहाबाद सीमा से लगते कूनो पालपुर नेशनल पार्क में अब अफ्रीकन चीते भी लाने की तैयारी चल रही हैं। लेकिन इस नेशनल पार्क के लगता ही बारां जिले का शाहाबाद में हाड़ौती का सबसे सघन वनक्षेत्र है। लेकिन फिर भी अभी तक इस क्षेत्र को रिजर्व क्षेत्र घेषित नहीं किया गया है। जबकि रणथंभौर रिजर्व से टाइगर मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर में लगातार मूवमेंट कर रहे हैं। लेकिन शाहाबाद में घने जंगल होने के बाद अभी तक भी बारां के इस जंगल को सेंचुरी बनाने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया हैं। वहीं कई बार इसे रिजर्व घोषित करने की मांग उठ चुकी हैं। उप वनसंरक्षक बारां राजीव कपूर ने कि कहा कि अभी शाहाबाद को रिजर्व करने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है। जबकि बारां में शाहाबाद का जंगल हाड़ौती में सबसे सघन वनक्षेत्र है। यहां करीब 30 साल पहले तक टाइगर का मूवमेंट बना रहता था। वर्तमान में भी यहां पर पैंथर, भालू, जरख सहित अन्य वन्यजीव मूवमेंट करते हैं। शाहाबाद से सटे मध्यप्रदेश के जंगल को कूनो अभयारण्य में बदल दिया गया है। लेकिन शाहाबाद के इस जंगल को अभयारण्य में बदलना तो दूर संरक्षित वनक्षेत्र तक घोषित नहीं किया जा रहा है। यहीं कारण है कि यहां के वन्यजीवों की प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर पहुंचने लगी है और जंगल में तेजी से अतिक्रमण होने लगा हैं। यहां के वन्यजीव कई कारणों से अपनी जान गंवा रहे हैं। हालांकि विभाग की ओर से वनक्षेत्र को संरक्षित करने के प्रस्ताव कई बार उच्च स्तर पर भेजा जा चुका है लेकिन फिर भी इस जंगल के वन्यजीवों की कोई सुध नहीं ले रहा हैं। संरक्षित घोषित नहीं करने के अभाव में यहां वन्यजीव इंसानी दखल का शिकार हो रहा है और कई जानवर मरने से यहां पर वन्यजीव कम होते जा रहे हैं।
बन सकता है पर्यटन का शानदार केंद्र
वन्यजीव विशेषज्ञों को कहना है कि अगर शाहाबाद को रिजर्व क्षेत्र घोषित कर इसे भी नेशनल पार्क का दर्जा मिले तो यह शानदार पर्यटन का केंद्र बन सकता हैं। वहीं जंगल और वन्यजीव भी बचे रहे सकते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश के कूनो,शाहबाद और रणथंभौर को मिलाकर शानदार वन्यजीव का पर्यटन का हब बनाया जा सकता हैं। क्योकि शाहाबाद का करीब 49 हैक्टेयर का जंगल सघन है। यहां जंगल में पैंथर, भालू, जरख, लोमड़ी से लेकर हिरण आदि वन्यजीव पाए जाते हैं। इनके अलावा जरख, नीलगाय, जंगली बिल्ली, सियार आदि वन्यजीव भी यहां देखे जाते हैं। रणथंभौर और कूनो के इलाके से इसे मिलाया जाए तो पहले की तरह यहां फिर से टाइगर का मूवमेंट बना बन सकता हैं। जिससे रणथंभौर के बाघों को नई टैरिटरी मिल सकती हैं। क्योकि पहले भी शाहबाद के जंगलों में टाइगर का मूवमेंट रहा हैं। ऐसे में इसे नेशनल संरक्षित कर नेशनल पार्क में विकसित किया जा सकता है।
Published on:
07 Feb 2020 10:15 am
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