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सोने की चाबी से खुला था पिंकसिटी में सिनेमा के ‘दिलकश संसार’ का द्वार

भारतीय सिनेमा का 110वें साल में प्रवेश गुलाबीनगर की खूबसूरत लोकेशंस कई फिल्मों में आईं नजर तो यहां के कलाकारों ने अपने टैलेंट से दिल भी जीता

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जयपुर

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Aryan Sharma

May 03, 2022

सोने की चाबी से खुला था पिंकसिटी में सिनेमा के 'दिलकश संसार' का द्वार

सोने की चाबी से खुला था पिंकसिटी में सिनेमा के 'दिलकश संसार' का द्वार

आर्यन शर्मा @ जयपुर. भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) ने मंगलवार को अपने 110वें साल के 'सुनहरे' सफर में प्रवेश किया है। दुनिया जानती है कि दादासाहब फालके (Dadasaheb Phalke) ने 109 साल पहले भारत की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' (Raja Harishchandra) बनाई थी, जो 3 मई 1913, शनिवार को मुंबई के कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ सिनेमाघर में रिलीज हुई। मल्टीटैलेंटेड फालके इस फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर-स्क्रिप्ट राइटर-आर्ट डायरेक्टर थे। धुंडिराज गोविंद फालके (Dhundiraj Govind Phalke) ने 12 हजार की बीमा पॉलिसी गिरवी रखकर, 10 हजार रुपए का कर्ज लेकर फिल्म का निर्माण किया था। फिल्म इतिहासकारों को अनुसार, फालके ने 'राजा हरिश्चंद्र' बनाने के लिए जिन लोगों से लोन लिया था, उन देनदारों को अपने सिनेमाई शाहकार को दिखाने के लिए फिल्म की रिलीज से 12 दिन पहले यानी 21 अप्रेल 1913 को बॉम्बे (मुंबई) के ओलंपिया थिएटर में 'राजा हरिश्चंद्र' का प्रीमियर यानी स्पेशल स्क्रीनिंग की थी।
इस साइलेंट फिल्म से लेकर पिछले हफ्ते रिलीज हुई 'रनवे 34', 'हीरोपंती 2' और 'आचार्य' तक भारतीय सिनेमा का 'कारवां' कुछ उतार-चढ़ाव के साथ अपनी गति से लगातार आगे बढ़ रहा है। भारतीय सिनेमा में पिंकसिटी का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। यहां के कई कलाकारों ने जहां फिल्मों में अपनी सफलता के झंडे गाड़े, वहीं जयपुर की लोकेशंस कई फिल्मों की अहम हिस्सा रही हैं। जयपुर का पहला सिनेमाघर मान प्रकाश (Man Prakash Cinema) था, जिसकी शुरुआत 2 मई, 1935 को सोने की चाबी से ताला खोलकर की गई थी। जानकार बताते हैं कि तब जयपुर (Jaipur) के महाराजा (Maharaja of Jaipur) मान सिंह ने रत्न जड़ित सोने का ताला सोने की ही चाबी से खोलकर इसका उद्घाटन किया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम मान प्रकाश टॉकीज रखा गया। शहर का यह ऐतिहासिक सिनेमाघर 31 मार्च 2003 को बंद हो चुका है और इसकी जगह अब एक मॉल बन गया है। हालांकि इससे पहले गुजरात के कयूम बोहरी ने 1924 में ओपन एयर थिएटर में तीन महीने तक फिल्मों का प्रदर्शन किया था, लेकिन उस जमाने में फिल्मों की सामाजिक स्वीकार्यता न होने की वजह से उनका प्रयास नाकाम रहा।

यूं आगे बढ़ता रहा सफर
पहला सिनेमाघर खुलने के बाद 1944 में जयपुर के दीवान (प्रधानमंत्री) सर मिर्जा इस्माइल ने सिनेमा चलाने के लिए राम प्रकाश थिएटर (Ram Prakash Cinema) को हसन एंड चांद कंपनी को सौंप दिया। इससे पहले इसमें नाटक जैसे प्रोग्राम किए जाते थे। इसमें पहली फिल्म के. एल. सैगल (K. L. Saigal) की 'तानसेन' (Tansen) रिलीज हुई। 1988 में यह सिनेमा बंद हो गया। जयपुर में तीसरा सिनेमाघर भवानी टॉकीज श्रीगोपाल घनेरी ने 1946 में शुरू किया, जो बाद में मिनर्वा (Minerva Cinema) के नाम से जाना गया। इसमें सबसे पहले धार्मिक फिल्म 'भक्त ध्रुव' का प्रदर्शन हुआ। चौथे सिनेमाघर के रूप में 12 दिसंबर 1947 को पोलोविक्ट्री सिनेमा (Polovictory Cinema) अस्तित्व में आया। स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ( Lord Mountbatten) ने फीता काटकर इसका उद्घाटन किया था। इसमें सबसे पहले सुरैया (Suraiya) स्टारर 'नाटक' रिलीज हुई। 16 दिसंबर 1948 को प्रेम प्रकाश सिनेमा (Prem Prakash cinema) शुरू हुआ। इसमें पहली फिल्म दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की 'शहीद' (Shaheed) रिलीज हुई।

सिनेमा हॉल: प्रदर्शित पहली फिल्म



























































जेम सिनेमा4 जुलाई 1964पूजा के फूलअशोक कुमार, धर्मेन्द्र, माला सिन्हा, निम्मी
राज मंदिर1 जून 1976चरसधर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, अजीत, अमजद खान
अंकुर28 जून 1980अलीबाबा और 40 चोरधर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, जीनत अमान, प्रेम चोपड़ा
लक्ष्मी मंदिर22 अगस्त 1981पूनमपूनम ढिल्लों, राज बब्बर, शक्ति कपूर
सम्राट13 जनवरी 1982दौलतविनोद खन्ना, जीनत अमान, अमजद खान, राज बब्बर
लता23 जून 1983अंधा कानूनरजनीकांत, हेमा मालिनी, रीना रॉय, अमिताभ बच्चन
मोती महल1985प्यारी बहनामिथुन चक्रवर्ती, पद्मिनी कोल्हापुरे, तन्वी आजमी, विनोद मेहरा
पारस1988विजयराजेश खन्ना, हेमा मालिनी, ऋषि कपूर, अनिल कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि
कोहिनूर16 अक्टूबर 1998बड़े मियां छोटे मियांअमिताभ बच्चन, गोविंदा, रवीना टंडन, राम्या कृष्णन

'छोटा चेतन' से 3डी
जयपुर में पहली टेक्नीकलर फिल्म 1952 में महबूब खान की 'आन' (Aan) रिलीज हुई थी। इसमें दिलीप कुमार, निम्मी, नादिरा और प्रेमनाथ लीड रोल में थे। वहीं पहली भारतीय 3डी फिल्म मलयालम भाषा की माय डियर कुट्टीचथन के हिन्दी डब 'छोटा चेतन' का 1998 में राजमंदिर में प्रदर्शन हुआ। सिंगल स्क्रीन सिनेमा के बाद 30 मार्च 2002 को शहर में मल्टीप्लेक्स का आगमन हुआ। एंटरटनेमेंट पैराडाइज (Entertainment Paradise) में फिल्म 'दुर्गा' और हॉलीवुड फिल्म 'ओशंस इलेवन' रिलीज हुईं।

अभी जयपुर में 55 स्क्रीन
जयपुर में अभी 17 मल्टीप्लेक्स सहित करीब 21 सिनेमा हॉल में 55 स्क्रीन हैं। इनमें राज मंदिर, जेम, कोहिनूर और पारस जैसे सिंगल स्क्रीन सिनेमा भी हैं। राजस्थान में करीब 200 स्क्रीन हैं। एक दौर था, जब जयपुर के राज मंदिर (Raj Mandir), राम प्रकाश, मान प्रकाश, मोती महल, प्रेम प्रकाश, पोलोविक्ट्री, लक्ष्मी मंदिर, सम्राट, संगम, पारस, मिनर्वा, अंकुर, कोहिनूर, जेम, सरोज, अंबर, मयूर, मयंक, शालीमार जैसे सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल में दर्शकों से गुलजार रहते थे। टिकट विंडो पर लंबी कतारें लगती थीं लेकिन अब इनमें से ज्यादातर सिनेमा का परदा 'गिर' चुका है। यानी बाद के वर्षों में भीड़ जुटाने में नाकामयाब रहे कई सिनेमा हॉल में ताले लटक चुके हैं तो कुछ मंदी की मार और आधुनिक चुनौतियां झेल कर भी लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। खैर, वक्त की करवट के साथ सिनेमा ने कई आयाम छुए। आज मल्टीप्लेक्स का जमाना है। अब ज्यादातर लोग मल्टीप्लेक्स में या फिर ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर फिल्में देखना पसंद करते हैं।

परदे पर पिंकसिटी
वर्ष 1925 में जयपुर पहली बार किसी फिल्म में नजर आया। विदेश में पुरस्कृत देश की पहली फिल्म 'प्रेम संन्यास (द लाइट ऑफ एशिया)' की काफी शूटिंग जयपुर में हुई थी। अहम बात यह कि जयपुर के तत्कालीन महाराजा ने फिल्म निर्माण में बहुत सहायता की थी। फ्रांज ऑस्टेन और हिमांशु राय के निर्देशन में बनी इस साइलेंट फिल्म में गौतम बुद्ध का टाइटल रोल राय ने ही किया था।