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Resident Doctor Suicide: जोधपुर से जयपुर तक गरमाया रेजिडेंट की मौत का मामला, सीनियर डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग

Resident Rakesh Bishnoi : रेजिडेंट डॉक्टरों में मानसिक तनाव और डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

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रेजिडेंट डॉक्टरों में मानसिक तनाव और डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कल रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई की मौत के बाद मामला फिर चर्चा में आ गया है। मरने से पहले रेजिडेंट ने सीनियर डॉक्टर पर परेशान करने के आरोप लगाए है। अब रेजिडेंट की ओर से आरोपी सीनियर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रहीं है। सोशल मीडिया पर इसे आत्महत्या नहीं, हत्या बताया जा रहा है। वहीं परिजनों की ओर से आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रहीं है। वहीं पुलिस मामले की जांच कर रहीं है।

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रेजिडेंट्स का कहना है कि नियम विपरीत उनसे समय से ज्यादा काम कराया जाता है। सीनियर्स की ओर से रेजिडेंट्स पर प्रेशर होता है। जिसके कारण ऐसे मामले सामने आते है।

आत्महत्या और आत्महत्या प्रयास के प्रमुख मामले...

जुलाई 2019 – जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज की रेजिडेंट डॉक्टर साक्षी गुप्ता ने मानसिक तनाव के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

अक्टूबर 2023 – जयपुर के एसएमएस अस्पताल की एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया।

मई 2025 – जोधपुर के मथुरादास हॉस्पिटल के हॉस्टल में 31 वर्षीय डॉ. कविता वर्मा, जो पीजी की तैयारी कर रही थीं, अपने कमरे में मृत पाई गईं।

जून 2025 – जोधपुर में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई ने मानसिक प्रताड़ना के चलते सुसाइड की कोशिश की। उन्हें जयपुर रेफर किया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। उन्होंने वरिष्ठ डॉक्टर राजकुमार राठौड़ पर थिसिस को लेकर प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए।

सीनियर डॉक्टर सुनते नहीं..

अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर्स अपने-अपने घरों में मरीजों को देखने में व्यस्त रहते हैं और वे अपने काम का भार भी रेजीडेंट डॉक्टरों पर डाल देते हैं। अगर कोई रेजीडेंट डॉक्टर अपनी पीढा बताता है तो उसकी सुनी अनसुनी कर दी जाती है। यहीं नहीं बल्कि कई बार तो उसे मरीजों के सामने बेइज्जत भी किया जाता है। सीनियर डॉक्टरों की ओर से कोई बात नहीं सुनने के कारण रेजीडेंट डॉक्टर्स कहीं शिकायत भी नहीं कर पाते। रेजीडेंट डॉक्टरों के सामने यह परेशानी ज्यादा है।

सीमित संसाधानों में काम करना मजबूरी..

मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में जहां डॉक्टरों पर काम का बोझा ज्यादा है वहीं संसाधन भी सीमित है। अस्पतालों की मशीनें पुरानी हो गई है। मरीजों की बढ़ती भीड के बीच भी सीमित संसाधनों के साथ काम करना डॉक्टरों की मजबूरी बना हुआ है।

इनका कहना है…

रेजिडेंट डॉक्टरों पर सीनियर्स का प्रेशर रहता है। रेजिडेंट डॉक्टर राकेश ने पुलिस को बयान दिया है। आज इस संबंध में जार्ड की मीटिंग बुलाई गई है। जिसमें आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। इसके साथ ही आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

डॉ हीरालाल यादव
जार्ड अध्यक्ष, जोधपुर

कल रात रेजिडेंट डॉक्टर राकेश की मौत हुई है। उसने सीनियर डॉक्टर पर आरोप लगाए है। जिसकी जांच के लिए सोमवार को कमेटी बनाई जाएगी। वहीं इस मामले में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। रेजिडेंट की ओर से सीनियर पर आरोप लगते रहते है। राकेश लंबे समय से मानसिक तनाव की दवाई ले रहा था। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

डॉ बीएस जोधा
प्रिंसीपल, जोधपुर मेडिकल कॉलेज

रेजिडेंट डॉक्टर राकेश की मौत होना दुखदायी है। कोई भी व्यक्ति मरने से पहले झूठ नहीं बोलता है। ऐसे में सीनियर डॉक्टर पर जो आरोप लगे है। उसकी जांच होनी चाहिए। आज जोधपुर में जार्ड की मीटिंग होगी। उसका जो निर्णय होगा। उसके आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। वहीं रेजिडेंट्स से काम समय से ज्यादा कराया जाता है। जो नियमों के विपरीत है। इस बारे में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

डॉ मनोहर सियोल,
अध्यक्ष, जार्ड, जयपुर