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मेटरनिटी लीव पर कोर्ट का आया यह अहम फैसला: अब दिए ये दिशा-निर्देश

कोर्ट ने कहा कि कार्यरत याचिकाकर्ता महिला को 90 दिन के बजाए 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जाए। साथ ही, व्यवस्था दी कि 90 दिन का समय ही शेष रहा है तो 90 दिनों का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Sep 07, 2024

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में मातृत्व अवकाश को लेकर एक बड़ा सुनाया है। इसमें कहा गया है कि मातृत्व अवकाश को लेकर कोई भी निजी संस्था भेदभाव नहीं कर सकती है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि असंगठित और निजी क्षेत्र में कार्यरत महिलाएं भी 180 दिन का मातृत्व अवकाश पाने की हकदार हैं।

कोर्ट ने कहा, बाकी दिन का दिया जाए वेतन
कोर्ट ने कहा कि रोडवेज में कार्यरत याचिकाकर्ता महिला को 90 दिन के बजाए 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जाए। साथ ही, व्यवस्था दी कि 90 दिन का समय ही शेष रहा है तो 90 दिनों का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) में कार्यरत मीनाक्षी चौधरी की याचिका पर यह आदेश दिया।

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कोर्ट ने की याचिका खारिज
कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश से संबंधित कानून में वर्ष 2017 में संशोधन कर 90 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया। ऐसे में रोडवेज वर्ष 1965 के प्रावधानों का हवाला लेकर सिर्फ 90 दिन का अवकाश नहीं दे सकता। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता रोडवेज में कंडक्टर है। उसने 180 दिन के मातृत्व अवकाश लेने के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे सिर्फ 90 दिन का अवकाश ही स्वीकृत किया गया। याचिका में शेष 90 दिन का अवकाश और दिलाने का आग्रह किया गया। रोडवेज की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वर्ष 1965 के कानूनी प्रावधान के अंतर्गत 90 दिन का मातृत्व अवकाश ही दिया जा सकता है। ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद रोडवेज के तर्क खारिज करते हुए याचिका को मंजूर कर लिया।

कोर्ट ने कहा, रोडवेज अपने नियमों में करे संशोधन
कोर्ट ने विभिन्न प्रावधानों का हवाला देकर कहा कि मातृत्व लाभ केवल वैधानिक अधिकारों या नियोक्ता व कर्मचारी के बीच समझौते से सृजित नहीं होते, बल्कि यह एक महिला की पहचान और उसकी गरिमा से जुड़ा मौलिक पहलू है। किसी महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश देने में केवल इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वह रोडवेज में कार्यरत है। कोर्ट ने रोडवेज के मामले में कानूनी प्रावधानों में संशोधन करने को भी कहा।