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Unique places in Jaipur: जयपुर सिर्फ एक शहर नहीं, भारत की रॉयल आत्मा का जीवंत चित्र है। यह वो जगह है जहां संस्कृति, इतिहास, कला और परंपरा एक रंगीन ढांचे में एकत्र होते हैं। हाल ही में जब Travel + Leisure की 2025 की टॉप 5 शहरों की लिस्ट में जयपुर ने टोक्यो, फ्लोरेंस और बैंकॉक जैसे शहरों को पीछे छोड़ दिया, तो सवाल उठा — आखिर जयपुर में ऐसा क्या है जो दुनिया में कहीं और नहीं मिलता ? आइए जानते हैं वो 5 अनोखी और बेमिसाल चीजें, जो जयपुर को न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व में एक यूनीक डेस्टिनेशन बनाती हैं।
जयपुर के नाहरगढ़ किले में राजा ने अपनी नौ रानियों के लिए बिल्कुल एक जैसे नौ महल बनवाए। हर महल एक दूसरे से जुड़ा हुआ है, फिर भी हर रानी की निजता बनी रहे इसका ध्यान रखा गया। इस तरह की वास्तुकला और सोच पूरी दुनिया में कहीं और नहीं मिलती। यह किला सुरक्षा के लिए बना था, लेकिन कालांतर में यह राजसी प्रेम और समानता का प्रतीक बन गया। साथ ही यहां मौजूद ज़ूलॉजिकल पार्क और वैक्स म्यूज़ियम इसे और खास बना देते हैं।
जयगढ़ किले की छत पर रखी ‘जयबाण तोप’ दुनिया की सबसे भारी तोपों में से एक है। कहा जाता है जब इसे दागा गया तो इतना गहरा गड्ढा पड़ा कि उस जगह एक बस्ती बस गई। इस तोप को बनाने में जिस बारीकी, विज्ञान और शक्ति का इस्तेमाल हुआ, वो मुगलों और राजपूतों की सैन्य तकनीक का कमाल है। आज यह शौर्य और वैभव का प्रतीक है।
1799 में बने हवा महल को महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने भगवान कृष्ण के मुकुट की छवि पर बनवाया। इसकी 953 झरोखों वाली मधुमक्खी के छत्ते जैसी रचना महिलाओं को बिना नजर आए बाहर देखने की आज़ादी देती थी। बिना नींव के बनी यह इमारत 87 डिग्री पर झुकी हुई है, फिर भी सदियों से खड़ी है। यह वास्तुशिल्प की जीवित चमत्कार है।
1902 में महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने इंग्लैंड यात्रा के लिए गंगाजल से भरे दो विशाल चांदी के कलश बनवाए थे। ये आज भी सिटी पैलेस के दीवान-ए-खास में सुरक्षित हैं और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं। ये कलश सिर्फ धातु नहीं, आस्था और भारतीय संस्कृति की निशानी हैं, जिन्हें देखने आज भी दुनिया से पर्यटक आते हैं।
घेवर और फीणी की बात हो और जयपुर का नाम न आए, ऐसा मुमकिन नहीं। यहां की लाख की चूड़ियों की कारीगरी, गुलाल गोटों की होली, और बाजारों की पारंपरिक रौनक दुनिया के किसी भी शहर में नहीं मिलती। यहां की मार्केट सिर्फ शॉपिंग स्पॉट नहीं, बल्कि परंपरा और स्थानीय शिल्प का संगम हैं — जहां रंग, स्वाद और सौंदर्य तीनों एक साथ मिलते हैं।
1876 में महाराजा सवाई राम सिंह द्वारा गुलाबी रंग से रंगवाया गया शहर आज राजनीतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भारत का गौरव बन चुका है। टॉप 5 ग्लोबल सिटीज़ में शामिल होना इसका प्रमाण है। जयपुर हमें बताता है कि परंपरा और आधुनिकता को कैसे एक साथ जिया जा सकता है।
Updated on:
27 Jul 2025 01:00 pm
Published on:
27 Jul 2025 12:51 pm
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