
एआई से बनाई गई तस्वीर...
जयपुर। राजधानी में डॉक्टरों ने 30 माह के एक बच्चे का हाई-रिस्क न्यूरोब्लास्टोमा सफलतापूर्वक ठीक किया है। बच्चों में पाया जाने वाला यह कैंसर सबसे आम एक्स्ट्राक्रेनियल सॉलिड ट्यूमर में से एक माना जाता है। एचसीजी कैंसर सेंटर में डॉक्टर्स ने कीमोथेरेपी, सर्जरी और ऑटोलोगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट—के जरिए बच्चे को नई जिंदगी दी है। परिवार के अनुसार जनवरी 2025 से बच्चे को बार-बार पेट दर्द, दस्त, उल्टी और हल्का बुखार रहने लगा। प्रारंभिक इलाज निजी चिकित्सक से कराया गया, लेकिन सुधार न होने पर परिजन उसे लेकर पहुंचे। विस्तृत जांच में हाई-रिस्क न्यूरोब्लास्टोमा की पुष्टि हुई।
डॉक्टरों ने पहले चरण में कीमोथेरेपी दी, जिससे ट्यूमर का आकार काफी घट गया। इसके बाद जून 2025 में सर्जरी द्वारा शेष ट्यूमर हटा दिया गया। चूंकि इस बीमारी में रिलैप्स की संभावना अधिक होती है, इसलिए डॉक्टरों ने ऑटोलोगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सलाह दी। परिवार की सहमति के बाद यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई।
डॉक्टरों ने बताया कि ट्रांसप्लांट के 10वें दिन स्टेम सेल एंग्राफ्टमेंट के सकारात्मक संकेत मिले और 14वें दिन बच्चे को स्वस्थ हालत में छुट्टी दे दी गई। डॉ. जितेन्द्र कुमार पहलाजानी और डॉ. मोनिका भुकर ने कहा कि हाई-रिस्क न्यूरोब्लास्टोमा बेहद आक्रामक कैंसर है, लेकिन कीमोथेरेपी, सर्जरी और ट्रांसप्लांट की संयुक्त रणनीति ने इस केस को सफल बनाया।
बच्चे के माता-पिता ने भावुक होकर कहा कि कैंसर की खबर सुनना उनके लिए जीवन का सबसे कठिन पल था। डॉ. नरेश सोमानी ने बताया कि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के साथ CAR-T सेल थेरेपी की जा रही है, जिससे गंभीर कैंसर रोगियों को नई उम्मीद मिल रही है।
Updated on:
25 Sept 2025 10:33 pm
Published on:
25 Sept 2025 10:28 pm
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