
जयपुर सेंट्रल जेल। फोटो: पत्रिका
जयपुर। जेल के तमाम सुरक्षा इंतजामों के बीच भी दो बंदियों ने दीवार फांदकर निकलने की इतनी जुगत दिखाई कि न सीसीटीवी कैमरे उन्हें रोक पाए, न वॉच टावर पर तैनात जवान। जेल से मोबाइल पर धमकी देने, संदिग्ध सामग्री मिलने और रील बनाने जैसे मामलों के बीच शु्क्रवार रात हुई इस घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी।
साथ ही सवाल खड़े कर दिए कि आखिर बंदियों की गतिविधियों पर कैसे नजर नहीं रखी जा सकी। दोनों बंदी रात 2ः10 बजे से करीब 3ः40 बजे तक जेल परिसर में घूमते रहे और फिर बिजली के तारों सहित 28 फीट ऊंची दीवार फांदकर बाहर निकलने में सफल रहे।
बंदी पहले मुलाकात कक्ष की छत पर पहुंचे। ऊंची दीवार से बाहर उतरने में विफल होने के बाद वापस जेल गार्डन आए और पानी देने वाले मोटे प्लास्टिक के पाइप को पत्थर से काटकर उसे दीवार पर लटकाकर बाहर निकल गए।
इस दौरान जेल में किसी प्रहरी की नजर उन पर नहीं पड़ी, यहां तक कि सीसीटीवी कैमरों की निगरानी करने वालों ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। जेल के बाहर आरएएसी के 10 जवान रात एक बजे से सुबह 5 बजे तक ड्यूटी पर रहते हैं, जिनमें चार जवान वॉच टावर पर तैनात रहते हैं।
भागते समय दोनों बंदियों ने जेल परिसर में लगे एक सीसीटीवी कैमरे को तोड़ दिया। मुलाकात कक्ष और ड्रामा हॉल के पास सुरक्षा पोस्ट पर रखी कुर्सी का इस्तेमाल कर एक बंदी दूसरे की मदद से छत पर चढ़ा और दीवार फांदी। वहीं दूसरी जगह लगे सीसीटीवी कैमरे में दीवार फांदने की घटना कैद हो गई।
जेल अधीक्षक ने दोनों बंदियों के भागने की रिपोर्ट दर्ज करवाई। लालकोठी थाने में एफआइआर दर्ज की गई, जिसमें बताया गया कि बैरक से बंदी निकलने के बाद क्वार्टर गार्ड के पास मुलाकात कक्ष के बगल से उत्तरी दीवार पर लगे गार्डन पाइप की मदद से भाग गए। पुलिस के मुताबिक, नवल किशोरी पहली बार जेल में आया था, जबकि अनस पहले भी जेल में रह चुका है।
जेल सूत्रों के मुताबिक, दोनों बंदियों की स्मैक की लत है। मोबाइल और संदिग्ध सामग्री न मिलने के कारण उन्होंने जेल से बाहर निकलने की योजना बनाई। साथी बंदियों के अनुसार, रातभर जेल प्रहरियों की गतिविधियों पर नजर रखी गई और ढाई से तीन बजे के बीच सुरक्षा में कमी का फायदा उठाया गया। घटना के समय जेल प्रहरी भी नींद निकाल रहे थे।
भागने का तरीका भी हैरान करने वाला था। बैरक के बाथरूम रोशनदान में लगी लोहे की एंगल को तोड़कर आठ इंच की जगह से बाहर निकले। अंदर वाली करीब 15 फीट ऊंची दीवार पर चढ़कर पांच फीट ऊंचे गेट पर लगे छह-सात इंच की ऊंचाई की जगह से बाहर पहुंचे। याद दिला दें कि 2010 में भी मुरैना निवासी कैदी राजेश उर्फ चरण सिंह मौर्य जयपुर जेल से बाहर से आए सहयोगियों की मदद से भाग चुका है।
पत्रिका: जेल से दो बंदी भाग गए, क्या सुरक्षा में भारी चूक हुई?
एडीजी: प्रथम दृष्टया इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
पत्रिका: इसके लिए किसको जिम्मेदार मानते हैं और अभी क्या कार्रवाई की?
एडीजी: प्रथम दृष्टया जेल में ड्यूटी पर तैनात दो मुख्य प्रहरी और पांच अन्य प्रहरी को जिम्मेदार माना गया है और उन्हें सस्पेंड किया गया। मामले की विस्तृत जांच जेल विभाग की डीआइजी जयपुर को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट के बाद असली जिम्मेदारों का पता चलेगा।
पत्रिका: सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं, रात्रि में कैमरों से निगरानी रखने की व्यवस्था नहीं है?
एडीजी: कैमरों से भी निगरानी रखी जाती है। इसी कारण डीआइजी जयपुर को जांच सौंपी गई है। किस स्तर पर किसकी लापरवाही रही, जांच के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पत्रिका: जेल के बाहर भी जवान तैनात रहते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई?
एडीजी: जेल के बाहर आरएएसी के जवान सुरक्षा व्यवस्था में रहते हैं। आरएएसी के अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
Published on:
21 Sept 2025 10:18 am
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