
दिल के मामले में एसएमएस ने एम्स को पीछे छोड़ा, बनाया नया कीर्तिमान
विकास जैन / जयपुर। सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टरों ने नई तकनीक तावी (ट्रांस कैथेटर अओर्टिक वॉल्व इंप्लांटेशन) के जरिए एक मरीज के ओपन सर्जरी किए बगैर हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट में सफलता पाई है। अस्पताल के कार्डियोलोजी विभाग का दावा है कि उत्तर भारत के सरकारी अस्पतालों में पहली बार इस तकनीक से वॉल्व बदला गया है। दिल्ली के एम्स में भी अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
अभी तक यह तकनीक निजी अस्पतालो में उपलब्ध थी, जहां इसका करीब 25 लाख रुपए खर्च था। एसएमएस में फिलहाल इसका खर्च करीब आधा 13 लाख रुपए है। पहले मरीज का यहां यह रिप्लेसमेंट निशुल्क किया गया है। डॉक्टरों का यह भी दावा है कि तकनीक के आगे बढऩे के साथ साथ एसएमएस में यह और भी सस्ता होगा। कॉलेज प्राचार्य डॉ.सुधीर भंडारी और अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. शशि मोहन शर्मा ने बताया कि मरीज को लगाया गया वॉल्व स्वदेशी है। आमतौर पर विदेशी वॉल्व की कीमत करीब 20 लाख रुपए होती थी। जिसके निजी अस्पताल में करीब 25 लाख रुपए तक वसूल किए जा रहे थे।
मरीज को थी सांस की समस्या
डॉ. शशि मोहन शर्मा ने बताया कि मरीज को चलने में सांस फूलने की समस्या थी। उसके हॉर्ट का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ गया था। साथ ही उसे किड्नी की समस्या भी थी और हॉर्ट पंप करने की क्षमता भी कम थी। ऐसे में मरीज की ओपन हॉर्ट सर्जरी करने पर अधिक खतरा था। केस स्टडी करने के बाद तावी तकनीक से उसका वॉल्व रिप्लेसमेंट करने का निर्णय किया गया। इस प्रक्रिया में ऐनेस्थीसिया विभाग की डॉ. रीमा मीणा और उनकी टीम का विशेष सहयोग रहा।
Published on:
15 Feb 2019 07:30 am
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