
जयपुर।
राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court ) ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास के लिए अपात्र माना है। याचिकाकर्ता मिलाप चंद डांडिया व अन्य की याचिका पर जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में लागू राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 मनमाना और अवैध है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास सहित अन्य सुविधाओं के हकदार नहीं हैं। गौरतलब है कि पूर्व में इस याचिका पर आदेश को रिजर्व रखा गया था। मामले में मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने सुनवाई की थी।
कोर्ट के इस फैसले से अब ये साफ़ हो गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ( Vasundhara Raje ) सहित अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने होंगे। राजे जयपुर के सिविल लाइन्स स्थित बंगला नंबर 13 में सीएम रहते हुए तो रह ही रहीं थीं, पर सत्ता खोने के बाद भी इसी आवास पर काबिज़ थीं।
कोर्ट के आदेश के बाद अब राजनीतिक गलियारों में बंगला नंबर 13 चर्चा का विषय बन गया है। ये बँगला अब गहलोत सरकार के किस मंत्री को मिलेगा ये देखना दिलचस्प रहेगा। आदेश के बाद सीएम राजे की तरह पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया को भी सरकारी आवास छोड़ना होगा।
वसुंधरा का 13 नंबर बंगला 'प्रेम'
दरअसल, जयपुर के सिविल लाइन्स स्थित बंगला नंबर आठ अधिकारिक मुख्यमंत्री निवास है। वसुंधरा राजे जब मुख्यमंत्री बनी, तब बंगला नंबर आठ मुख्यमंत्री के नाते और बंगला नंबर 13 पूर्व मुख्यमंत्री के नाते अलॉट करवा रखा था। वर्ष 2008 से राजे बंगला नंबर 13 में ही रह रहीं हैं।
पिछले साल दिसंबर 2018 को ही सामान्य प्रशासन (ग्रुप-2) विभाग ने उन्हें फिर से इस बंगले का आवंटन आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया कि निर्वतमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मंत्रिमंडल सचिवालय की आज्ञा क्रमांक प.11(1)मंमं/98 दिनांक 26 फरवरी, 2013 के प्रावधान के अनुसार बंगला नंबर 13 निशुल्क आवंटित किया जाता है। यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में लंबित रिट याचिका संख्या 20267/2017 तथा 18713/2017 के निर्णय के अध्यधीन रहेगा।
इससे पहले राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देने के लिए सरकार अप्रेल 2017 में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन विधेयक लाई थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर आजीवन सरकारी बंगले दिए जाने का प्रावधान किया गया।
उधर, तिवाड़ी ने भी जताया था ऐतराज
वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने भी राजे के 13 नंबर बंगले में रहने को लेकर ऐतराज जताया था। जब तिवाड़ी बीजेपी से बागी होकर दीनदयाल वाहिनी संगठन चला रहे थे, तब उन्होंने राजे के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। तब उन्होंने 'राजस्थान मंत्री वेतन विधेयक' पर सवाल उठाये थे।
तिवाड़ी ने कहा था कि इस विधेयक के लाने का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री के सिविल लाइंस के बंगला नंबर 13 पर आजन्म कब्जा करना, मुख्यमंत्री न रहने पर भी जीवन भर के लिए कैबिनेट मंत्री का दर्जा लेना और अपनी सुख-सुविधा के लिए जनता की गाढ़ी कमाई में से आजन्म लगभग एक करोड़ रुपए साल की सुविधाओं का इंतजाम करना है।
उन्होंने कहा था कि मैं इस विधेयक को वापस लेने के लिए लगातार लड़ रहा हूं। वसुंधरा राजे तुरंत सिविल लाइंस बंगला नंबर 13 को खाली करें और बंगला नंबर 8 सिविल लाइंस के आधिकारिक आवास में जाएं। साथ ही उक्त जागीरदारी प्रथा तथा प्रिवी-पर्स की पुनस्र्थापना का काम करने वाले इस काले कानून को वापस लें।
Updated on:
04 Sept 2019 03:28 pm
Published on:
04 Sept 2019 02:58 pm
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