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Vice President Resigns: किसान पुत्र से उपराष्ट्रपति तक, जानें कैसा रहा जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर?

Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और कानूनी जीवन प्रेरणादायक रहा है।

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Vice President Jagdeep Dhankhar

जगदीप धनखड़, फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और कानूनी जीवन प्रेरणादायक रहा है। 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी मेहनत और कर्मठता से देश की शीर्ष संवैधानिक पदों तक का सफर तय किया।

दरअसल, 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य करने वाले धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसने सियासी हलचल मचा दी। उनके इस छोटे लेकिन प्रभावशाली कार्यकाल ने उनकी संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ और कानूनी निपुणता को उजागर किया।

शिक्षा और कानूनी करियर की शुरुआत

जगदीप धनखड़ ने चित्तौड़गढ़ के प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, जो अपनी अनुशासित शिक्षा के लिए जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से विज्ञान में स्नातक और फिर एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1979 में राजस्थान बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के साथ उन्होंने वकालत शुरू की और जल्द ही अपनी कानूनी समझ के लिए पहचाने जाने लगे।

फिर 1990 में राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया। धनखड़ ने राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की और राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी।

यहां देखें वीडियो-


राजनीतिक पारी की शुरुआत

धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा। उनकी स्पष्टवादिता और संसदीय ज्ञान ने उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। 1990 में चंद्रशेखर सरकार में उन्हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने सरकार और विधानमंडल के बीच समन्वय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।

फिर 1993 से 1998 तक उन्होंने किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान वे जनता दल, कांग्रेस और अंततः बीजेपी जैसे विभिन्न दलों से जुड़े रहे। जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। यह कार्यकाल विवादों और टकरावों से भरा रहा।

कब बने उपराष्ट्रपति? फिर इस्तीफा

दरअसल, 2022 में बीजेपी ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार बनाया। उन्होंने 6 अगस्त 2022 को हुए चुनाव में 528 मतों के साथ भारी जीत हासिल की। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने संसदीय नियमों का कड़ाई से पालन किया और कई महत्वपूर्ण सत्रों की अध्यक्षता की। हालांकि, 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से उनके अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए।