सरकार की अनदेखी आमजन व रोडवेज कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। बसों के संचालन के लिए बूंदी आगार के पास परिचालकों का टोटा है। इस कारण निर्धारित शिडयूलों का संचालन बूंदी आगार नहीं कर पा रहा है।
सरकार की अनदेखी आमजन व रोडवेज कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। बसों के संचालन के लिए बूंदी आगार के पास परिचालकों का टोटा है। इस कारण निर्धारित शिडयूलों का संचालन बूंदी आगार नहीं कर पा रहा है।
शहरी व ग्रामीण इलाकों में लोगों को बसों की कमी खल रही है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की कमी के चलते रोडवेज परिचालकों को चौबीस घण्टे काम करना पड़ रहा है। हालात यह है कि रोडवेज कर्मचारियों को एक भी छुट्टी नहीं मिल पा रही है।
ऐसे में कर्मचारियों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है। जानकारी के अनुसार जिलेभर के लिए रोडवेज मुख्यालय ने 84 शिड्यूल निर्धारित कर रखे हैं। इसमें से 72 शिड्यूल ही बूंदी रोडवेज प्रशासन चला पा रहा है। 12 शिड्यूल कर्मचारियों की कमी के चलते लंबे समय से बंद पड़े हैं। एक दर्जन शिड्यूल बंद होने से प्रतिदिन यात्रियों को बसों की कमी महसूस होती है।
खलती है कमी
कर्मचारियों की कमी के चलते रोडवेज प्रशासन निर्धारित शिड्यूलों का संचालन नहीं कर पा रहा है। इस कारण यात्रियों को बसों की कमी खलती है। कई बार मार्ग पर चलने वाली बसें भी निरस्त करनी पड़ती है। ऐसे में जिलेभर के यात्रियों को बसों की कमी का सामना करना पड़ता है। बस स्टैण्ड व गांवों में भी बसों का इंतजार करना लोगों की मजबूरी बन गया है।
...तो नहीं मिलती छुट्टी
सूत्रों के अनुसार रोडवेज प्रशासन को पूरे शिड्यूल चलाने के लिए बुकिंग व्यवस्था के अलावा 147 परिचालकों की आवश्यकता है। इसमें से वर्तमान में मात्र 103 परिचालक की कार्यरत हैं। 44 परिचालकों की कमी है।
इसके अलावा 18 परिचालक ग्रामीण बसों के लिए चाहिए। ऐसे में परिचालकों से चौबीस घण्टे लगातार काम लिया जा रहा है। रोडवेज प्रशासन परिचालकों को रेस्ट, ऑन ड्यूटी रेस्ट व साप्ताहिक अवकाश नहीं दे पा रहा है। ऐसे में परिचालक मानसिक रूप से परेशानी झेल रहे हैं।
मांग रहे हैं परिचालक
जयपुर में हुई बैठक में प्रबंध निदेशक से परिचालक उपलब्ध करवाने की मांग की है। वर्तमान में दिक्कत तो है, लेकिन हमारे पास जितने संसाधन है उसी प्रकार काम चला रहे हैं।