29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विश्व थैलेसीमिया दिवस: राजस्थान में दो हजार से ज्यादा थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करता है।

2 min read
Google source verification
विश्व थैलेसीमिया दिवस: राजस्थान में दो हजार से ज्यादा थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे

विश्व थैलेसीमिया दिवस: राजस्थान में दो हजार से ज्यादा थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे

जयपुर। थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करता है। लाल रक्त कोशिकाओं में प्रोटीन, जो शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों में हीमोग्लोबिन बनाने वाली दो प्रकार की ग्लोबिन श्रृंखलाओं में से एक का उत्पादन या तो कम हो जाता है या फिर अनुपस्थित हो जाता है, जिससे एनीमिया और अन्य जटिलताएं होती हैं।

थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है यानी अगर माता-पिता में से किसी एक को हो तो बच्चे को भी यह बीमारी हो सकती है। यदि माता-पिता में से किसी एक को थैलेसीमिया है, तो बच्चे को थैलेसीमिया माइनर हो सकता है। लेकिन अगर माता-पिता दोनों को थैलेसीमिया है तो 25 प्रतिशत बच्चों में थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना रहती है। इसमें 25 फीसदी बच्चे सामान्य हो सकते हैं। वहीं, 50 फीसदी माइनर थैलेसीमिया के संदिग्ध हैं।

राजस्थान का सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल है। लेकिन यहां थैलेसीमिया से ग्रस्त मरीजों को न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेक्नोलोजी (एनएएटी) टेस्टेड ब्लड के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि यहां जांच नहीं होती है। जांच के लिए ब्लड सैंपल को उदयपुर भेजा जाता है। जहां से 48 घंटे बाद जांच रिपोर्ट मिलती है। इस दौरान मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस सबंध में जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज को कई बार लिखा जा चुका है। अगर यहां मशीन लग जाएं तो मरीज को चार घंटे में रिपोर्ट मिल जाएं।

थैलेसीमिया के लक्षण..

आंख में पीलापन आ जाना
हड्डी का सामान्य से अलग दिखना, खास कर चेहरे में
हड्डियों का विकास सही ढंग से नहीं होना
बच्चे की विकास में रुकावट आना
अत्यधिक थकान और कमजोरी होना
गहरे रंग का पेशाब होना
पीली त्वचा होना

थैलेसीमिया होने पर कैसे रखें ख्याल..

बार-बार खून चढ़ाने से थैलेसीमिया से पीड़ित रोगी के शरीर में बहुत अधिक आयरन हो सकता है, जिससे हृदय, लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।

इनका कहना है..

राजस्थान में थैलेसीमिया बीमारी से दो हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमित है। थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है। जिसकी पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है। यह दो प्रकार का होता है। एक मेजर व दूसरा माइनर। इससे बचाव का उपाय है कि दपंति को जांच कराना चाहिए। ताकी बच्चे को यह बीमारी नहीं मिल सके।

डॉ. सरिता शर्मा, सहायक आचार्य, ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज