
फाइल फोटो- पत्रिका
राजस्थान के कई पर्यटन स्थल अब सोशल मीडिया की बदौलत देश-दुनिया में चर्चाओं में आ चुके हैं। युवाओं ने सोशल मीडिया के जरिए इन जगहों को वायरल कर दिया है, जिससे यहां पर्यटकों की भीड़ बढ़ रहती है। पारंपरिक पर्यटन सर्किट से हटकर ये स्थल इको-टूरिज्म, एडवेंचर और ग्रामीण जीवनशैली के लिए मशहूर हो रहे हैं। ऐसे में हम आपको राजस्थान के कुछ ऐसे पर्यटन स्थलों से रूबरू करवा रहे हैं, जिन्हें सोशल मीडिया के जरिए अलग पहचान मिली है।
चारों तरफ नमक से पसरी सांभर झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। धीरे-धीरे इस जगह के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। इसके बाद अब यह जगह राजस्थान में फोटोग्राफी और प्री वेडिंग शूट के लिए मशहूर हो चुकी है।
आपको बता दें कि यहां संजय लीला भंसाली की 'रामलीला', संजयदत्त अभिनीत 'शेर', राजकुमार हिरानी की चर्चित फिल्म 'पीके' के अलावा राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'दिल्ली-6', 'जोधा अकबर', 'वीर' और 'द्रोण' जैसी फिल्मों की शूटिंग हुई है। इसके साथ ही जयपुर, अजमेर, नागौर, सीकर, पुष्कर सहित राज्य के अनेक स्थानों से लोग प्री वेडिंग शूट के लिए यहां पहुंचते हैं।
राजस्थान के पाली जिले में स्थित जवाई लेपर्ड सफारी तेंदुओं के लिए प्रसिद्ध है। फरवरी 2025 में अक्षय कुमार ने अपने परिवार के साथ जवाई बांध पहुंचकर लेपर्ड सफारी का आनंद लिया था। जवाई लेपर्ड कंजर्वेशन रिजर्व में कई तेंदुए निवास करते हैं, जो पर्यटकों को करीब से वन्यजीवों का दीदार करने का मौका देते हैं।
यह क्षेत्र न केवल वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए, बल्कि बॉलीवुड सितारों और क्रिकेटरों के लिए भी पसंदीदा बन चुका है। हाल के महीनों में सोशल मीडिया पर जवाई के तेंदुओं के कई वीडियो वायरल हुए थे। इसके बाद यह जगह टूरिस्ट्स के लिए बेहद खास बन गई है। ऐसे में अगर आप वाइल्डलाइफ एडवेंचर के शौकीन हैं, तो लेपर्ड सफारी के लिए अक्टूबर से फरवरी के बीच का सबसे अच्छा है।
वहीं दौसा में आठवीं सदी में निर्मित विश्वप्रसिद्ध प्राचीन धरोहर आभानेरी की चांदबावड़ी हेरिटेज टूरिज्म के लिए न केवल देश बल्कि दुनियाभर के विदेशी पर्यटकों को लुभा रही है। इस वर्ष अगस्त माह तक ही 45 हजार से अधिक विदेशी सैलानी यहां की अनूठी स्थापत्य कला को निहारने आए हैं, जबकि वर्ष 2015 से पहले अनुमान के तौर पर प्रतिवर्ष यहां 12 हजार विदेशी पर्यटक आते थे। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।
बांदीकुई शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित आभानेरी गांव का पूर्व में नाम आभानगरी था, लेकिन कालांतर में इसका नाम परिवर्तन कर आभानेरी कर दिया गया। चांद बावड़ी का निर्माण आठवीं व नवीं शताब्दी में राजा चांद ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांदबावडी पड़ा। बावड़ी चारों ओर से 35 मीटर चौड़ी है। वर्गाकार 19. 5 मीटर गहरी देश की प्राचीनतम बावड़ियों में से एक है। इसमें तीन तरफ करीब 35 सौ सीढ़ियां एवं एक तरफ महलनुमा संरचना है। यहां के संरक्षण कार्य के बाद कुछ माह पहले ही महलनुमा संरचना को पर्यटकों को देखने के लिए खोला गया है।
अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के किनारे बसा भानगढ़ किला, भारत का सबसे प्रसिद्ध भूतिया स्थल माना जाता है। 16वीं शताब्दी में आमेर के राजा भगवंत दास के छोटे बेटे माधो सिंह के लिए बनवाया गया यह किला, अपनी भव्य वास्तुकला और डरावनी कथाओं के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है।
हाल ही में अप्रेल 2025 में एक ट्रैवल ब्लॉग ने किले के इतिहास और रहस्यों पर विस्तृत जानकारी साझा की। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भानगढ़ के सैंकड़ों वीडियोज ने इसे देश-दुनिया में वायरल कर दिया है। बता दें कि किंवदंतियों के अनुसार किले के पास रहने वाले तांत्रिक सिंघिया ने राजकुमारी रत्नावती पर मोहित करने का जादू किया, लेकिन असफल होने पर श्राप दे दिया कि किला कभी फिर से बस नहीं सकेगा।
जैसलमेर जिले में बसा कुलधरा गांव, जो 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा स्थापित एक समृद्ध बस्ती था। आज भारत के सबसे प्रसिद्ध भूतिया स्थलों में शुमार है। लगभग 200 साल पहले एक ही रात में पूरा गांव खाली हो गया था और तब से यह वीरान पड़ा है। सोशल मीडिया पर कुलधरा गांव के वीडियो देख कई पर्यटक यहां आते हैं।
प्रचलित कहानियों के अनुसार जैसलमेर रियासत के दीवान सलीम सिंह की नजर गांव की एक सुंदर लड़की पर पड़ी, जिसे बचाने के लिए गांववालों ने श्राप देकर गांव छोड़ दिया। श्राप यह था कि कोई भी यहां कभी फिर से नहीं बस पाएगा। आज भी स्थानीय लोग मानते हैं कि रात में यहां आत्माएं भटकती हैं और सूर्यास्त के बाद प्रवेश निषेध है। फिलहाल पुरातत्व विभाग की निगरानी में यह गांव अब पर्यटन स्थल है।
Published on:
27 Sept 2025 08:20 pm
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