
Nirjala Ekadashi
Nirjala Ekadashi : परिवार में सुख व समृद्धि की प्राप्ति तथा भगवान विष्णु की कृपा पाने को लेकर निर्जला एकादशी का त्यौहार इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवि योग के बीच मनाया जाएगा। साल भर में होने वाली 24 के दिन जो श्रद्धालु व्रत नहीं रख पाते वह साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रख पुण्य फल की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन व्रत का पारण कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
निर्जला एकादशी के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरि की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
निर्जला एकादशी का महत्व
निर्जला एकादशी पर बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की उपासना का विधान है। इस व्रत को करने से साल की सभी एकादशी का फल मिल जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था और मूर्छित हो गए थे। इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
साल भर की सभी एकादशी का फल प्राप्त होने की मान्यता
इस बार निर्जला एकादशी 31 मई को मनाई जाएगी। निर्जला एकादशी का व्रत दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते है। निर्जला एकदशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई दोपहर में 1 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 31 मई को दोपहर को 1 बजकर 45 मिनट पर होगा। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है। जिसका समय सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 6 बजे तक रहेगा। निर्जला एकादशी का पारण 1 जून को किया जाएगा, जिसका समय सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
Published on:
29 May 2023 12:56 pm
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