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जैसलमेर में बढ़ी जासूसी गतिविधियां: पाकिस्तान को गोपनीय सूचनाएं लीक करता पकड़ा गया सरकारी कर्मचारी

सुरक्षा एजेंसियों ने संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा किया। एक सरकारी कर्मचारी को वाट्सऐप और कॉल के जरिये गोपनीय सूचनाएं लीक करते पकड़ा गया, जिसने सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया।

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विगत वर्षों में पकड़े गए जासूस (फोटो: पत्रिका)

दीपक व्यास

पहलगाम आतंकी हमले के बाद राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में पाकिस्तान की आइएसआइ की जासूसी गतिविधियां तेज हो गई हैं। 464 किमी लंबी भारत-पाक सीमा से सटा यह जिला सामरिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

हाल ही सुरक्षा एजेंसियों ने संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा किया। एक सरकारी कर्मचारी को वाट्सऐप और कॉल के जरिये गोपनीय सूचनाएं लीक करते पकड़ा गया, जिसने सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया। आइएसआइ स्थानीय युवाओं को लालच देकर जासूसी नेटवर्क में शामिल कर रही है।

जैसलमेर के विशाल क्षेत्रफल और 300 से अधिक प्रतिबंधित गांवों में निगरानी चुनौतीपूर्ण है। नाचना, मोहनगढ़, रामगढ़ जैसे क्षेत्रों में बाहरी लोगों के सत्यापन में सक्रियता की जरूरत है। सुरक्षा चौकियों की कमी से चुनौतियां बढ़ी हैं। सेना के ठिकानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।

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इसलिए जैसलमेर पर गड़ी हैं गिद्ध नजरें

  • - पाकिस्तान से सटा सरहदी जैसलमेर जिला वीवीआइपी लोगों की पसंद

- पर्यटन नगरी में प्रतिवर्ष लाखों सैलानियों की रहती है आवक

- पोकरण व किशनगढ़ जैसी फील्ड फायरिंग रेंज में आए दिन हो रहे सैन्य अभ्यास

- मिसाइल व युद्धक हथियारों के परीक्षण के लिए अनुकूल क्षेत्र ताकि मजबूत हो सुरक्षा चक्र

- सरहदी थाना क्षेत्रों में बीट प्रणाली और रात्रि गश्त को मजबूत किया जाए।

- नई पुलिस चौकियों की स्थापना तत्काल हो।

- अज्ञात कॉल्स, अनजान गतिविधियों पर सतर्कता की सलाह दी जाए।

जैसलमेर में पकड़े गए जासूस की घटना के बाद पुलिस तंत्र सतर्क है। संदिग्ध लोगों पर नजर है और सोर्सेज से इनपुट हासिल किए जा रहेे हैं। आमजन से अपील की जा रही है कि संदिग्ध लोगों व संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सूचना हो तो पुलिस को तुरंत दें।

सुधीर चौधरी, पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर

फैक्ट फाइल…

- 02 दर्जन के करीब जासूस अब तक पकड़े जा चुके हैं एजेंसियों की ओर से

- 300 के करीब गांव प्रतिबंधित क्षेत्रों में शामिल हैं जिले के आठ थाना क्षेत्रों के

- 03 के करीब सरहदी गांवों में रखी जा रही है सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी

जासूसों का ब्योरा

वर्ष 1996 - जाफरिया, नबिया व अमरे खां

वर्ष 2002- रमजान व नूरे खां

वर्ष 2006 - नूरे खां

वर्ष 2013 - अलाबख्श, माजिद खां व गुलाम रसूल

वर्ष 2014- सुमार खां

वर्ष 2015- गोरधनसिंह

वर्ष 2016 - नंदलाल गर्ग

वर्ष 2017- सदीक, बरियम खां, हाजी खां

वर्ष 2019-नवाब खान उर्फ नबिया

वर्ष 2021- हबीबुर्रहमान, नवाब खान, फतन खां

वर्ष 2025- पठान खान

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