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एक साल से बिना स्टाफ चल रहा कृषि महाविद्यालय, उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे

पश्चिमी राजस्थान का सरहदी जैसलमेर जिला कृषि व पशुपालन के लिए पहचान रखता है। सरहदी जिले के पोकरण क्षेत्र के युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोडऩे और उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से गत वर्ष राजकीय कृषि महाविद्यालय शुरू किया गया, लेकिन एक वर्ष बाद भी यहां स्टाफ नहीं लगाया गया है।

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पश्चिमी राजस्थान का सरहदी जैसलमेर जिला कृषि व पशुपालन के लिए पहचान रखता है। सरहदी जिले के पोकरण क्षेत्र के युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोडऩे और उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से गत वर्ष राजकीय कृषि महाविद्यालय शुरू किया गया, लेकिन एक वर्ष बाद भी यहां स्टाफ नहीं लगाया गया है। जिसके कारण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है। जानकारी के अनुसार सरहदी जिले के निवासियों का मूल व्यवसाय कृषि है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा दिलाना चाहते हैं। इसी को लेकर कुछ वर्ष पूर्व क्षेत्र के कई उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में कृषि संकाय शुरू किए गए। बीते वर्षों में सैकड़ों विद्यार्थियों ने कृषि विषय में उच्च माध्यमिक स्तर का शिक्षण किया, लेकिन महाविद्यालय नहीं होने से विद्यार्थियों का कृषि विषय से मोहभंग होने लगा। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2022 में पोकरण में कृषि महाविद्यालय की घोषणा की गई। एक वर्ष में प्रक्रिया पूरी कर महाविद्यालय शुरू भी कर दिया गया, लेकिन यहां स्टाफ की नियुक्ति को लेकर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।

13 पद स्वीकृत, सभी रिक्त

गत वर्ष कस्बे में कृषि महाविद्यालय शुरू किया गया। भवन निर्माण होने तक इसे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संचालित किया जा रहा है और इसके प्राचार्य को नॉडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। कृषि महाविद्यालय में एक प्राचार्य और 12 आचार्यों व सहायक आचार्यों के पद स्वीकृत किए गए है। उदासीनता इस कदर है कि बीते एक वर्ष में एक भी पद पर नियुक्ति नहीं दी गई है। जिसके कारण सभी पद रिक्त हैं। कार्यालय का कामकाज नॉडल अधिकारी की ओर से ही किया जा रहा है।

बिना शिक्षण दी परीक्षा, प्रतिनियुक्तियां भी हुई पूरी

महाविद्यालय शुरू होने के साथ विद्यार्थियों को स्वाध्याय ही करना पड़ा। यहां आचार्य व सहायक आचार्य नहीं होने पर गत जून माह में प्रायोगिक परीक्षा के लिए व्याख्याताओं की आवश्यकता हुई तो प्रतिनियुक्तियां की गई थी। प्रायोगिक परीक्षाएं पूर्ण होने के बाद आचार्यों की प्रतिनियुक्ति भी समाप्त कर दी गई। ऐसे में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को बिना शिक्षण ही परीक्षाएं देनी पड़ी। अब फिर विद्या संबल योजना के तहत आवेदन मांगे गए हैं। यदि समय पर आचार्य नियुक्त किए गए तो विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

कैसे बढ़ेगी विषय के प्रति रुचि

महाविद्यालय की स्थापना से आस जगी थी कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवा कृषि शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे, लेकिन नियुक्तियों के अभाव में महाविद्यालय का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उनकी रुचि भी कम हो रही है।

प्रथम वर्ष में 52, द्वितीय में 48 विद्यार्थी

  • पोकरण का राजकीय कृषि महाविद्यालय बीकानेर में स्थित स्वामी केशवानंद राजकीय कृषि विश्वविद्यालय की ओर से संचालित है।
  • यहां एक अनुभाग स्वीकृत है और उसमें 60 सीटें है।
  • कृषि महाविद्यालय में प्रवेश जेट परीक्षा के माध्यम से दिया जाता है।
  • महाविद्यालय में प्रथम वर्ष में 52 विद्यार्थी और द्वितीय वर्ष में 48 विद्यार्थी अध्ययनरत है।भवन है निर्माणाधीनपोकरण में 2022 में कृषि महाविद्यालय स्वीकृत करने के साथ भवन निर्माण के लिए राशि आवंटित कर दी गई थी। गत वर्ष भवन का निर्माण कार्य शुरू किया गया, जो अभी तक चल रहा है। भवन निर्माण पूरा होने के बाद नए भवन में महाविद्यालय का संचालन किया जाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कृषि महाविद्यालय संचालित किया जा रहा है
  • फैक्ट फाइल:-
  • 13 पद कृषि महाविद्यालय में है स्वीकृत
  • 1 वर्ष से सभी पद पड़े है रिक्त
  • 60 सीटों का एक अनुभाग है स्वीकृत
  • 100 विद्यार्थी है अध्ययनरतकई बार लिखा गयाएक वर्ष में यहां स्वीकृत पदों पर नियुक्तियों के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। प्रायोगिक परीक्षा के लिए प्रतिनियुक्ति भी की गई थी। अब फिर पहले व तीसरे सेमेस्टर के लिए विद्या संबल योजना के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए है।
  • डॉ.गिरधारीलाल जयपाल, नॉडल अधिकारी कृषि महाविद्यालय, पोकरण