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धमाकों की गूंज, धुएं का गुबार, सेना ने किया अनुपयोगी गोला-बारूद नष्ट

पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना की ओर से अनुपयोगी गोला-बारुद को नष्ट किया गया। रेंज में एक बड़ा गड्ढ़ा कर उसमें गोला बारुद रखकर वायर के माध्यम से इसे नष्ट किया गया।

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Pokhran Firing Range

जैसलमेर। पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना की ओर से अनुपयोगी गोला-बारूद को नष्ट किया गया। रेंज में एक बड़ा गड्ढ़ा कर उसमें गोला बारूद रखकर वायर के माध्यम से इसे नष्ट किया गया। इस दौरान रेंज में तेज धमाका हुआ, जिसकी गूंज दूर गांवों व ढाणियों तक सुनाई दी। भारतीय सेना की कोणार्क कोर डिवीजन के अधिकारियों व जवानों ने पुराने गोला-बारूद के निस्तारण का कार्य किया। कोणार्क कोर के टस्कर्स ने सोशल मीडिया एक्स पर इसकी जानकारी साझा की है। इससे अनजाने में विस्फोट, आग या पर्यावरण प्रदूषण का जोखिम कम हो जाता है।

वर्ष भर युद्धाभ्यास

पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज देश की बड़ी फायरिंग रेंज में शुमार है, जो विस्तृत भू-भाग में फैली हुई है। यहां वर्ष भर सेना की ओर से युद्धाभ्यास किया जाता है। नई तोप, बंदूकों, आधुनिक हथियारों आदि का परीक्षण इसी रेंज में होता है। कड़ाके की सर्दी हो या भीषण गर्मी, भौगोलिक परिस्थितियों में सेना की ओर से यहां युद्धाभ्यास के साथ परीक्षण किया जाता है। युद्धाभ्यास के दौरान कई बार गोला, बारुद, बम आदि बिना फटे ही रह जाते हैं और रेत में दब जाते है। इन गोला-बारुद से कोई हादसा नहीं हो, इसके लिए सेना की ओर से अनुपयोगी गोला-बारुद को एकत्रित कर नष्ट करने की कवायद की जाती है।

थल व वायु सेना के होते है युद्धाभ्यास

1974 व 1998 में हुए परमाणु परीक्षणों के बाद पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज विश्वभर में चर्चित हुई। इस रेंज को चार भागों में बांटा गया है। यहां थल व वायु सेना के युद्धाभ्यास होते है। सर्दियों के मौसम में देश के कई हिस्सों से सेना की बटालियन यहां युद्धाभ्यास के लिए आती है।