
भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले में दुर्लभ प्रजाति की एशियाटिक कैराकल बिल्ली नजर आई है। जैसलमेर के सांवता निवासी वन्यजीवप्रेमी सुमेरसिंह भाटी व बीएनएचएस के पंकज विश्नोई खेतोलाई के निर्देशन में गत कुछ महिनों से सामुदायिक अभियान चलाया जा रहा था। जिसके अंतर्गत जैसलमेर के सीमावर्ती रामगढ़ क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति एशियाटिक कैराकल की आबादी मिली है। टीम के अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में करीब 10 जोड़े कैराकल के है। गौरतलब है कि भारत के घास स्थलों में व्यापक रूप से यह प्रजाति पाई जाती थी, लेकिन वर्षों से इसकी संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। महिनों तक किए गए मैदानी सर्वे, स्थानीय चरवाहों के पारंपरिक ज्ञान और लगातार किए गए प्रयासों के आधार पर टीम ने इस प्रजाति की सरहदी जिले में सक्रिय मौजूदगी दर्ज की है। जिनके फोटो वन्यजीवप्रेमी सुमेरसिंह भाटी व पंकज विश्नोई ने पत्रिका को उपलब्ध करवाए है।
विशेषज्ञों के अनुसार यह खोज थार में कैराकल की वापसी के संकेत है। सरकार की ओर से इसके संरक्षण के प्रयास करने के साथ आवास बचाने का कार्य किया जाए तो संख्या में बढ़ोतरी की संभावना है। वन्यजीवप्रेमी भाटी व विश्नोई ने बताया कि जिले में पवन व सौर ऊर्जा के संयंत्र लग रहे है, जो कैराकल के लिए खतरे से कम नहीं है। इसके लिए सामुदायिक नेतृत्व के संरक्षण मॉडल को लागू कर प्रजाति को बचाया जा सकता है।
Published on:
16 Nov 2025 10:29 pm
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