
जिले के ऊंट पालकों ने उष्ट्र संरक्षण संबंधी सरकारी योजना का लाभ पिछले पांच महीनों से नहीं मिलने से नाराज होकर शुक्रवार को पशुपालन विभाग परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय अनदेखी के कारण उनके लिए राज्य पशु का पालन करना मुश्किल हो गया है। आने वाले समय में अगर उन्हें अनुदान नहीं मिला तो वे अपने ऊंटों को कलेक्ट्रेट और पशुपालन विभाग में छोड़ देंगे ताकि वे ही उनका पालन-पोषण करें। पशुपालक सुमेरसिंह सांवता ने बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से उष्ट्र संरक्षण योजना चलाई जा रही है। इसका लाभ सीमांत जैसलमेर जिले के ऊंट पालकों को नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि रासला पंचायत सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में 500 से अधिक ऊंटों का टैग लगाकर सर्वे किया जा चुका है लेकिन 5 महीने बाद भी उन ऊंटों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया। जिससे पालकों को सरकारी सहायता नहीं पाई है।
यह है सरकार की सहायता योजना
राज्य सरकार की ओर से रेगिस्तान के जहाज के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए उष्ट्र संरक्षण योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत ऊंटनी के टोडिया के जन्म पर 20 हजार की सहायता राशि देने का प्रावधान है। यह सहायता को तीन किश्तों में देय होती है। लाभ लेने के लिए ऊंटनी का टैगिंग एवं पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। पशुपालन विभाग पहुंचे ऊंट पालकों ने आरोप लगाया कि जान-बूझकर पोर्टल पर डेटा अपडेट नहीं किया जा रहा है। ज्ञापन सौंपते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही टैगिंग की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो वे जिला मुख्यालय पर धरना देंगे।
Updated on:
18 Jul 2025 10:50 pm
Published on:
18 Jul 2025 10:48 pm
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