ऐसी है ऐतिहासिक हवेली
-दीवान सालमसिंह के पिता दीवान स्वरूपसिंह ने शुरू किया था।
-संवत् 1819 में स्वरूपसिंह दीवान ने दो मंजिल तक का निर्माण कराया था।
-जानकारों के अनुसार इसके बाद दीवान सालमसिंह ने हवेली को सोनार किले तक की ऊंचाई तक ले जाने के लिए आठवीं मंजिल का निर्माण भी करवा दिया।
-हवेली के छत से सोनार किले के राजप्रसादों में पहुंचने के लिए एक झूले का निर्माण कार्य करवाए जाने से पहले ही तत्कालीन महारावल ने हवेली की आठवीं मंजिल को गिरवा दिया।
-हवेली के ऊपरी हिस्से में अद्भुत कला के सौन्दर्य से युक्त 38 बंगलियां निर्मित करवाई गई।
-यहां बेल्जियम से मंगवाए गए दर्पण छत पर व दीवारों पर लगे हैं तथा इटालियन मार्बल का भी उपयोग किया गया है।
-हवेली की शिल्पकला, ऊपरी मंजिल, खंभे व प्राचीन कला के संरक्षण व हवेली के जीर्णोद्धार के लिए करीब 50 लाख रुपए के प्रस्ताव विभाग को भेजे गए थे।
-बाद में एक बार 10 लाख रुपए की राशि और स्वीकृत की गई थी मगर तय समय में राशि खर्च नहीं होने से बजट लैप्स हो गया।
-दीवान सालमसिंह के पिता दीवान स्वरूपसिंह ने शुरू किया था।
-संवत् 1819 में स्वरूपसिंह दीवान ने दो मंजिल तक का निर्माण कराया था।
-जानकारों के अनुसार इसके बाद दीवान सालमसिंह ने हवेली को सोनार किले तक की ऊंचाई तक ले जाने के लिए आठवीं मंजिल का निर्माण भी करवा दिया।
-हवेली के छत से सोनार किले के राजप्रसादों में पहुंचने के लिए एक झूले का निर्माण कार्य करवाए जाने से पहले ही तत्कालीन महारावल ने हवेली की आठवीं मंजिल को गिरवा दिया।
-हवेली के ऊपरी हिस्से में अद्भुत कला के सौन्दर्य से युक्त 38 बंगलियां निर्मित करवाई गई।
-यहां बेल्जियम से मंगवाए गए दर्पण छत पर व दीवारों पर लगे हैं तथा इटालियन मार्बल का भी उपयोग किया गया है।
-हवेली की शिल्पकला, ऊपरी मंजिल, खंभे व प्राचीन कला के संरक्षण व हवेली के जीर्णोद्धार के लिए करीब 50 लाख रुपए के प्रस्ताव विभाग को भेजे गए थे।
-बाद में एक बार 10 लाख रुपए की राशि और स्वीकृत की गई थी मगर तय समय में राशि खर्च नहीं होने से बजट लैप्स हो गया।
आंधी-तूफान व बारिश का मौसम बन रहा खतरा
आसनी रोड स्थित पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित स्मारक दीवान सालमसिंह हवेली स्थापत्य कलीा का 18 वीं शताब्दी का महत्वपूर्ण भवन है। संरक्षित स्मारक होने के कारण मकान मालिक की ओर से कोई कार्य रनहीं करवाया जा सकता। हवेली पुरानी होने के कारण जर्जर हालत में हो गई है। अमूमन हर बारिश के मौसम या फिर आंधी-तूफान में इसका भाग टूटकर सड़क पर गिरता रहता है। उक्त हवेली के जीर्णोद्धार को लेकर पुरातत्व निदेशक को पत्र प्रेषित कर अवगत कराया है।
-कमलसिंह मोहता, निवासी सालमसिंह हवेली, जैसलमेर